अजमेर में कैसे होती थी थानेदारों से मंथली वसूली, 11 साल बाद खुला राज़
Ajmer News: अजमेर पुलिस पर दस साल पहले लगा संगठित भ्रष्टाचार का दाग़ मंगलवार को धुल गया. 10 साल पुराने SP मंथली वसूली मामले में मंगलवार को भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट और विशेष टाडा कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेश सोनवाल, 10 तत्कालीन थानाधिकारी सहित एक दलाल और एक अन्य को बरी कर दिया.
आंखें हुईं नम
कोर्ट का फैसला आने के साथ ही सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई और कुछ की आंखें नम हो गईं. फैसला आने के बाद तत्कालीन अजमेर SP राजेश मीणा ने इसे सत्य की जीत बताया और कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं. ACB ने दस साल पहले तत्कालीन SP राजेश मीणा के सरकारी आवास पर दबिश देकर दलाल रामदेव और राजेश मीणा को मंथली वसूलने के मामले मे गिरफ्तार किया था.
दोनों पक्षों की सुनवाई और अंतिम बहस पूरी हुई
आरोप था कि दलाल रामदेव SP मीणा के लिए सभी थानाधिकारियो से मंथली वसूलता था और SP को सौंपता था. इस मामले मे भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत ने एसपी मंथली प्रकरण मे मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई और अंतिम बहस पूरी हुई. प्रकरण में तत्कालीन अजमेर एसपी राजेश मीना, एएसपी लोकेश सोनवाल, दलाल रामदेव ठठेरा, थाना प्रभारी सहित 14 आरोपी थे, जिन्हे बुधवार को न्यायालय ने दोष मुक्त कर दिया.
कैसे ACB के सामने आया ये मामला
2 जनवरी 2013 को एसीबी ने तत्कालीन एसपी राजेश मीना को जयपुर रोड स्थित सरकारी आवास में दलाल ठठेरा के साथ गिरफ्तार किया था. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 90 गवाह और 300 दस्तावेज माननीय न्यायाधीश के समक्ष पेश किए गए थे.
शिकायतकर्ता एसीबी का अधिकारी ही था
उस समय कहा गया था कि एक थैली में रखे 2 लाख 5 हजार रुपये के साथ दोनों को SP के जयपुर वाले घर से गिरफ्तार किया था. रामदेव ठठेरा की पॉकेट से कई पुलिस थानों की पर्चियां मिली थी. एसीबी को मुखबिरों के जरिए सूचना मिली कि एसपी की ओर से मंथली वसूली की जा रही थी. इसके बाद इसमें एसीबी ने खुद केस दर्ज कर किया था और जांच को आगे बढ़ाया था. खास बात तो यह है कि शिकायतकर्ता एसीबी का अधिकारी ही था और जांचकर्ता भी वही था.