केकड़ी : बालिकाओं को शिक्षा मिले इस उद्देश्य से दानदाता ने सरवाड़ में करोड़ों रुपए का भवन विद्यालय को दान में दिया. ताकि बालिका शिक्षा को बढ़ावा मिल सके. लेकिन राजस्थान सरकार ने उसी स्कूल को महात्मा गांधी विद्यालय में तब्दील कर दिया. जिसके चलते सैकड़ों छात्राओं के भविष्य पर तलवार लटक गई है. वहीं स्थानीय लोगों में शिक्षा विभाग के खिलाफ गहरा आक्रोश है, और उन्होंने विद्यालय को हिंदी में विद्यालय में ही संचालित करने की मांग की है.


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बालिकाओं को शिक्षा मिले इस उद्देश्य से सरवाड़ निवासी गिरधर दास गोविंद राम घनश्याम दास व ईश्वरदास बांगड़ ने अपनी माता पूसी बाई पत्नी गोवर्धनदास बांगड़ की स्मृति में 31 जनवरी 1961 को बालिकाओं की शिक्षा के लिए करोड़ों रुपए का भवन दान किया. तब से पूसी बाई स्कूल के रूप में विधालय संचालित है. इस विद्यालय की स्थापना ब्रिटिश शासन काल में 1 मई 1946 को बालिका विद्यालय के रूप में प्राथमिक स्तर कक्षा 1 से पाच तक हुई. 1960 में यह विद्यालय उच्च प्राथमिक स्तर पर कमोन्नत हुआ. 1975 में माध्यमिक स्तर और 1993 में उच्च माध्यमिक स्तर पर कमोन्नत हुआ.


राजकीय पूसी बाई बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय उपखंड का एकमात्र सबसे बड़ा बालिका विद्यालय है, जहां जडाना खाडरा भगवानपुरा सातोलाव सोहनपुरा हीगतडा समेलिया चकवा चकवी रघुनाथपुरा भीमपुरा अरवड जगपुरा सोमपुरा सहित दो दर्जन गांवों की छात्राएं यहां अध्ययन कर रही है. इस विद्यालय में 600 से अधिक छात्राएं पड़ती है अंग्रेजी माध्यम प्रारंभ किए जाने से यहां अध्यनरत छात्राओं का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा. उन्हें नए विद्यालय के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा.


 वहीं उच्च शिक्षा से भी महरूम होना पड़ेगा. राजस्थान सरकार बालिका शिक्षा को बढ़ावा दे रही है और स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए विभिन्न छात्रवृतिया एवं मिड डे मील प्रदान कर रही है. ताकि बालिकाओं का विद्यालय से जुड़ाव हो सके वहीं दूसरी ओर सरकार की नीतियों के कारण ही बालिका शिक्षा से वंचित हो रही है.‌ जिस परिवार ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 65 वर्ष पूर्व अपनी भूमि व भवन दान में दे दिया. ताकि बालिकाओं को शिक्षा मिल सके उसी विद्यालय को सरकार ने अंग्रेजी विद्यालय में तब्दील कर दिया ऐसे में हिंदी विद्यालय में पढ़ने वाली सैकड़ों छात्राओं के भविष्य पर तलवार लटक गई है.


राजस्थान सरकार ने पूसी बाई विद्यालय को राजकीय महात्मा गांधी विद्यालय में परिवर्तन करते हुए यहां पर स्टाफ लगा दिया. इसके चलते छात्राओं में गहरी नाराजगी है उनका कहना है कि अंग्रेजी विद्यालय होने के चलते हमें अब कोई दूसरा स्कूल ढुंढना पड़ेगा. ज्ञात रहे उक्त विधालय सरवाड़ उपखंड का एकमात्र बालिका विद्यालय है. पूर्व में भी सरकार में इस विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने का आदेश जारी किए थे, बाद में सरवाड़ में विरोध होने पर पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा के दखल पर शिक्षा विभाग ने अपना आदेश वापस ले लिया.