Pushkar: आदि -अनादि काल से भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी महत्व माना जाता रहा है . दीपावली से पहले आने वाली यह चतुर्दशी के इस खास पर्व को सुहागन चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है . महिलाये इस पर्व पर खास तोर से अपने रूप को निखारने के जतन करती हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

Jaipur: सम्मान समारोह में जी राजस्थान के एडिटर मनोज माथुर को मिला बेस्ट एडिटर का अवार्ड


भारतीय परिधान धारण किए 


धार्मिक नगरी पुष्कर में भी महिलाओं को सजते-संवरते देखकर सात समंदर पार से आई विदेशी बालाएं भी अपने आपको रोक नहीं सकीं और उन्होंने भी भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का महत्व समझकर अपने आपको सजाने-संवारने के लिए ब्यूटी पार्लर का रुख किया. जंहा पर ना केवल इन विदेशी महिलाओं ने श्रंगार करवाया बल्कि भारतीय परिधान को धारण करते हुए सोलह श्रंगार भी किए.


भारतीय संस्कृति के धार्मिक ग्रंथो के कहा जाता है कि कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन अत्याचारी नरकासुर राक्षस का वध कर उसके चगुल में बंदी बनाई गई 17 हजार एक सौ रानियों को भगवान कृष्ण ने मुक्त कराया था. तब इन रानियों ने चंगुल से मुक्त होने के बाद सम्मान का अनुभव किया और जड़ी-बूटियों से स्नान कर श्रृंगार किया था. तब से स्त्रियां विशेष श्रंगार कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करते हुए व्रत भी रखती हैं. साथ ही पौराणिक ग्रंथों के लिखित राजा रंतिदेव और यमदूत की कथा में वर्णित प्रसंग के अनुसार आज के दिन ब्राह्मण भोजन करवाने तथा दक्षिण दिशा में घर के बाहर दीया जलाने से नर्क गामी पापों से मुक्ति मिलती है.


पाश्चात्य संस्कृति से भारत की संस्कृति को आत्मसात कर रही यह विदेशी पर्यटका ताल ओर पाज़ इजरायल से भारत भ्रमण के लिये आयी थी. ताल ने बताया कि वह पहली बार भारत आ रही है . इसी कारण से उसे भारत के त्योहारों के बारे में जानकारी मिली और इन्हें उत्साह के साथ बनाने का अवसर प्राप्त हुआ. विदेशी महिला ने सजने -संवरने के बाद अपने इस अनुभव बारे में बताया की यंहा आने पर उन्हें इस त्योहार के बारे में जानकारी मिली थी हमने भी भारतीय धार्मिक रीति रिवाजो. के अनुसार श्रृंगार किया है . हमें ये सब करके बहुत अच्छा लगा. यह एक अविस्मरणीय शण थे जिन्हें वो कभी भूल नहीं पाएंगी.