शंकराचार्य ज्ञानानंद पहुंचे तीर्थ नगरी पुष्कर, ब्रह्मा मंदिर की जर्जरता को सही करने की उठाई आवाज
मध्यप्रदेश के भानपुरा में स्थित ज्योर्तिमठ की अवांतर पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ शनिवार को तीर्थ नगरी पुष्कर पहुंचे. जहां उन्होंने जगतपिता ब्रह्मा मंदिर पहुंचकर दर्शन किए. साथी शंकराचार्य की प्राचीन गद्दी पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस दौरान ज्ञानानंद तीर्थ ने बताया कि, जगतपिता ब्रह्मा का स्थल अति प्राचीन तीर्थों में से एक है. चातुर्मास प्रवास के लिए इस तीर्थ से उत्तम स्थल भू लोक पर नहीं हो सकता.
Pushkar: मध्यप्रदेश के भानपुरा में स्थित ज्योर्तिमठ की अवांतर पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ शनिवार को तीर्थ नगरी पुष्कर पहुंचे. जहां उन्होंने जगतपिता ब्रह्मा मंदिर पहुंचकर दर्शन किए. साथी शंकराचार्य की प्राचीन गद्दी पर पुष्पांजलि अर्पित की. इस दौरान ज्ञानानंद तीर्थ ने बताया कि, जगतपिता ब्रह्मा का स्थल अति प्राचीन तीर्थों में से एक है. चातुर्मास प्रवास के लिए इस तीर्थ से उत्तम स्थल भू लोक पर नहीं हो सकता.
उन्होंने जगतपिता ब्रह्मा मंदिर की जर्जर अवस्था को देखते हुए कहा कि यदि मंदिर का कुछ हिस्सा ढह गया तो जनहानि की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने स्थानीय प्रशासन सहित सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुहार लगाई है कि जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के जर्जर स्वरूप को देखते हुए जल्द ही पुनरुद्धार का कार्य शुरू किया जाना चाहिए.
शंकराचार्य परंपरा के अनुसार पूर्व में संचालित हो रहे महंत परंपरा को पुनः जागृत करने को लेकर भी शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ ने आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि धार्मिक परंपराओं को देखते हुए स्थानीय प्रशासन तीर्थ पुरोहित, धर्म अनुरागी हिंदू समाज को सकारात्मक प्रयास कर मंदिर के खाली पड़ी महंत की गद्दी पर उपयुक्त संत को विराजित करना चाहिए. जिससे वर्षों से चली आ रही शंकराचार्य परंपरा खंडित ना हो.
गौरतलब है कि चातुर्मास प्रवासस के चलते शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ पुष्कर पहुंचे हैं. इस दौरान उनके सैकड़ों शिष्य भी साथ मौजूद रहे. कस्बे के वैष्णव धर्मशाला में शंकराचार्य के सानिध्य में विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जा रहा है. जिसमें देश भर से आए श्रद्धालु इन धार्मिक अनुष्ठानों में भाग ले रहे हैं.
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