Ajmer news: अजमेर के ब्यावर में उन्होंने बिल को लागू नहीं करने और वर्चुअल मान्यताएं दिए जाने पर रोक लगाने की मांग की है. एक्ट के विरोध को लेकर गैर सरकारी स्कूल एवं जनकल्याण संस्थान राजस्थान के पदाधिकारियों की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन करते हुए विरोध दर्ज करवाया गया. संस्था के प्रदेशाध्यक्ष जितेन्द्र अरोड़ा ने बताया कि सरकार गलत तरीके से स्कूलों पर दबाव बनाना चाहती है. जिसे हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे.


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 सरकार के इस बिल के माध्यम से प्राइवेट स्कूलों पर नियंत्रण के लिए विनियामक प्राधिकरण का गठन करने जा रही हैं, जिसका खर्चा उठाने के लिए सरकार प्राइवेट स्कूलों की 1 प्रतिशत फीस वसूल करेगी.


उन्होंने उक्त वसूल की जाने पर राशि को जजिया कर का दर्जा देते हुए निजी विद्यालयो के खिलाफ एवं दमनकारी है. उन्होने बताया कि निजी शिक्षण संस्थाओं के लिए पहले से ही चार एक्ट, गैर सरकारी शैक्षिक संस्था कानून 1989, 1993, आरटीई एक्ट 2009 एवं फीस विनियम एक्ट 2016 लागू है, ऐसे में अब किसी भी प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं है.


 इसमें प्रस्ताविक नियम और शर्तों से इंस्पेक्टर राज हावी होगा. भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संस्था प्रवक्ता कुलदीपसिंह राठौड़ ने बताया कि वर्तमान शिक्षण सत्र 2022-23 अपनी समाप्ति की ओर है. कई सीबीएसई संबंध विद्यालयों ने तो फाइनल परीक्षाएं तक ले ली हैं,


वहीं दूसरी ओर सरकार ने प्री-प्राईमरी कक्षाओं में 25 प्रतिशत आरटीई नियम के तहत प्रवेश देने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया है. जिसमे फस्ट क्लास तक आने तक बच्चों का खर्चा भी सरकार वहन नहीं करेगी.


 वहीं, अब तक कई विद्यालय का सरकार ने पुनर्भरण राशि तक का भुगतान नहीं किया है. जो विद्यालय के हितों के प्रति कुठाराघारत है. ऐसे में प्राइवेट स्कूल संचालक इस बिल का पुरजोर विरोध करेंगे. चाहे इसके लिए हमें सड़क पर ही क्यों ना उतरना पड़े. संस्थान के पदाधिकारियों ने बताया कि अगर सरकार ने समय रहते इन प्रावधानों को नहीं हटाया, तो निजी विद्यालय संचालकों द्वारा आंदोलन किया जाएगा. इसके बाद भी जरूरत पड़ने पर न्यायालय की शरण लेने पर भी मजबूर होना पड़ेगा.


प्रेस वार्ता के दौरान सचिव अजमत काठात, लक्ष्मीनारायण टांक, विश्वकांत जोशी, मुकेश गोस्वामी, राजेन्द्रकुमार शर्मा, तजम्मुल हुसैन, रजनीश वी. गिलवर्ट, मनीष सांखला, हेमंत कुमार, सचिन गहलोत, हर्षित शर्मा सहित अनेक विद्यालय संचालक मौजूद थे. जिन्होंने एक स्वर में उक्त अधिनियम का विरोध किया.


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Reporter- Dilip Chouhan