अलवर/जयपुर: राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में अभी एक साल का समय बाकी है. इस बीच राहुल गांधी की यात्रा इस समय राजस्थान में है. राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा करीब 500 किलोमीटर तय करेगी.भारत जोड़ो यात्रा आज दौसा से अलवर पहुंची है. यात्रा अब दो दिन बाद यहां से निकल जाएगी. प्रदेश में यह यात्रा करीब 20 दिन चली है. 21 दिसंबर की सुबह यह यात्रा हरियाणा के मुडका सीमा में प्रवेश कर जाएगी. 


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 राजस्थान में अभी कांग्रेस की सरकार है. कांग्रेस सरकार पर दो बार आए सियासी संकट ने पार्टी नेताओं की सारी पोल खोल कर रख दी थी. हालांकि, राहुल गांधी की यात्रा में राजस्थान के सभी कांग्रेस नेता एकजुटता का संदेश छोड़ रहे हैं. राहुल गांधी जमीनी हकीकत से रू-ब-रू हो रहे हैं. साथ ही पार्टी नेताओं से भी वन टू वन कर रहे हैं.  


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राजे के गढ़ से एंट्री और अलवर से भारत जोड़ो यात्रा की विदाई


जानकारों का कहना है कि यात्रा की एंट्री वसुधंरा राजे के गढ़ झालावाड़ से हुई और विदाई ऐसे क्षेत्र (अलवर) से हो रही है, जहां कभी कांग्रेस मजबूत दिखती है तो कभी कमल का असर दिखता है. इसके पीछे कांग्रेस की स्ट्रैटजी है. अलवर को सिंह द्वार भी कहा जाता है और यह इलाका हरियाणा और राजस्थान को भी जोड़ता है. इसलिए इसे मेवात क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है. राहुल गांधी की इस सभा को मेवात को साधने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है. 


मेवात के जातीय समीकरण की बात करे तो यह क्षेत्र कांग्रेस के लिए अनुकूल है. क्योंकि 2018 में कांग्रेस ने अलवर क्षेत्र में जबरदस्त सफलता पाई थी. राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में यहीं पर एक सभा को संबोधित किया था. जिसके बाद कांग्रेस यहां मजबूत हुई थी. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राहुल गांधी की मेवात के इलाके में जनसभा का असर पड़ सकता है. अलवर, भरतपुर और धौलपुर में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था. राहुल गांधी की जनसभा से स्थानीय विधायकों के खिलाफ बढ़ी नाराजगी कम होने की संभावना बताई जा रही है. कांग्रेस राहुल गांधी की सभा को यहां के लिए सुखद संकेत मानती है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मेवात में राहुल गांधी की सभा से पार्टी को मजबूती मिलती है. साथ ही बिखरे हुए स्थानीय नेता एक मंच पर हाथ उठाते हैं.


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राजस्थान विधानसभा का समीकरण 
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.कांग्रेस के खाते में 99 सीटें आई थीं, जबकि बीजेपी 73 सीटें ही अपने नाम कर पाई थी.वहीं, 6 सीट पर बसपा की जीत हुई थी. इसके अलावा 4 सीटों पर आरएलपी के विधायक बने थे. हर पांच साल में राज और रिवाज बदलने की परंपरा यहां दोहराई जाती है, 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सरकार बनाई थी. बीजेपी ने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी.


अलवर का सियासी समीकरण


अलवर मेवात-ब्रज रीजन में आता है और यहां कुल 11 विधानसभा सीट है. 2018 के चुनाव में जिले में करीब 21,12,234 मतदाता हैं, यहां 75 फीसदी से ज्यादा वोटिंग होती है. कांग्रेस इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाने के लिए राहुल गांधी को यहां लाई है. प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा के रिस्पॉन्स से कांग्रेस नेता और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रसन्न दिख रहे हैं.