Alwar: केंद्र और राज्य सरकार किसानों को उनकी फसल का उचित दाम देने के लिए खरीद केंद्रों के माध्यम से खरीद कर रही है. जिससे किसानों को उनकी पूरी मेहनत मिल सके. लेकिन उनके जिम्मेदार अधिकारियों के गैर जिम्मेदारी पूर्ण रवैया के चलते किसानों को एक बार फिर खून के आंसू रोना पड़ रहा है. सुबह से अपनी सरसों की फसल की तूलाई का इंतजार कर रहे किसानों की फसल बारिश आने पर भीग गई. किसान को हमेशा संघर्ष करना पड़ रहा है. 


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किसानों पर भारी मौसम की मार


कभी मौसम की मार तो कभी प्रशासन के नुमाइंदों की लापरवाही किसान को भारी पड़ रही है. बेचारा किसान खेत बुवाई के समय महंगे बीज, फसल के लिए खाद की किल्लत, फसल की सिंचाई के लिए बिजली की किल्लत, अब फसल पक्के तैयार है तो उसका उचित दाम लेने के लिए भी किसान को संघर्ष करना पड़ रहा है. भला अब किसान की कौन सुनेगा.


मामला बुधवार का है. जब सुबह 3 बजे से अपनी सरसों की फसल का खरीद केंद्र पर तुलाई का इंतजार कर रहे किसानों की सरसों दिन के 12 बजे तक भी तुलाई संभव ना हो पाई. ना ही केंद्र पर खरीद केंद्र से संबंधित कर्मचारी और अधिकारी पहुंच पाए थे. इसके बाद गुस्साए किसानों ने गोविंदगढ़-सीकरी मार्ग को जाम कर दिया और वाहनों की लंबी कतार लग गई. 


किसानों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी


किसानों ने जाम लगाकर राजस्थान सरकार, विधायक सफिया खान के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की. जाम की सूचना मिलने के बाद थाना अधिकारी ताराचंद शर्मा और उपखंड अधिकारी सुशीला मीणा मौके पर पहुंचे और समझाइश कर जाम को खुलवा दिया. उपखंड अधिकारी और थानाधिकारी ने किसानों को तो तुलाई करवाने का आश्वासन दिया लेकिन वह आश्वासन बारिश के साथ बह गया और किसानों की फसल बारिश में भीग गई. फसल बारिश में भीगने के बाद किसान अपनी ट्रैक्टर ट्रॉली को लेकर बैरंग अपने घर लौट गए. अब उन्हें औने पौने दामों में मंडियों में ही अपनी सरसों बेचनी पड़ रही है.


अधिकारी आए 5 मिनट रुके और चले गए 


जिम्मेदार अधिकारियों ये कैसी जिम्मेदारी थी कि वह किसानों के प्रदर्शन की सूचना मिलने पर मौके पहुंचे और महज 10 मिनट बाद वापस लोट गए. जबकि जिम्मेदारो को खरीद केंद्र से जुड़े अधिकारी कर्मचारियों को बुलाकर किसानों की सरसों की तुलाई करवानी चाहिए थी. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अपना पल्ला झाड़ कर किसानों को उनकी परेशानी में छोड़कर चले गए. भला जब उपखंड के जिम्मेदार अधिकारी ही किसानों की परवाह नहीं करेंगे तो फिर सरकारों के द्वारा किसानों के लिए सरकारी खरीद केंद्र खुलवाने के क्या मायने है.


किसानों ने बताई आपबीती


किसान फकीरा, रविंद्र, भजन लाल ने आरोप लगाया कि उसे खरीद केंद्र प्रभारी के द्वारा फोन करके बुलाया गया था. वह सुबह 3 बजे खरीद केंद्र पर पहुंच गया. लेकिन 12 बजे तक भी कोई भी कर्मचारी खरीद केंद्र पर नहीं आया. 19 जून को उनका सरसों खरीदने का नंबर आ गया था. अब सरसों की तुलाई नहीं हुई तो उसे वापस बैरंग लौटना पड़ेगा.


पल्लेदार आए और चले गए 


किसानों ने आरोप लगाया कि पल्लेदार आए थे. उसके बाद ठेकेदार ने पल्लेदारों से किसानों की सरसो को वरदाने में भरने से मना कर दिया. किसानों ने आरोप लगाया कि उनसे प्रति बोरी 13 रुपए भी मांगे गए थे. हालांकि वह पैसे देने को भी तैयार हैं. लेकिन उनके सरसों की तूलाई की जाए.


Reporter- Arun Vaishnav


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