Alwar News: अलवर की धारा भक्ति और तप के लिए विख्यात है. इस तपोभूमि पर महाभारत काल के पहले के पौराणिक शक्तिपीठ मौजूद हैं. इनमें प्रमुख रूप से बाला किला क्षेत्र में माता करणी, मनसा माता, पांडुपोल हनुमान मंदिर, भर्थहरी धाम सहित अनेक जगह हैं. हजारों वर्ष पूर्व अरावली की पहाड़ियों पर प्रमुख शक्तिपीठ के रूप में धोलागढ़ देवी धाम है.

 

कठूमर ग्राम पंचायत बहतुकलां में अरावली की पहाड़ी पर करीब 265 फीट ऊंचे शिखर पर बना प्राचीन धौलागढ़ देवी का मंदिर देश भर की आस्था का केंद्र बना है. श्रद्धालु -यहां माता के दर्शन और परिवार पर आशीर्वाद की कामना लेकर पूरे साल आते रहते हैं. लेकिन मेले के अलावा नवरात्रों के दौरान देवी भक्त यहां आकर विशेष श्रद्धाभाव दिखाते है. 

 

परिसर में ठहर कर नवरात्रि में मत्रत पूरी करने के लिए देवी आराधना करते हैं. मंदिर से प्राप्त जानकारी के अनुसार 3 से 11 अक्टूबर नवमी पूजन के साथ 12 नवंबर को विसर्जित कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. वहीं, नौ दिन तक मां धौलागढ़ देवी के नौ देवीय स्वरूपों में दर्शन होंगे. प्रतिदिन मंदिर पर देवी जागरण का आयोजन किया जाएगा. मां धोलागढ़ विकास ट्रस्ट की ओर से व्यवस्था संभाली जाएगी.

 

मंदिर महंत मनोज शर्मा ने बताया कि मंदिर की प्रतिष्ठा या निर्माण को लेकर कहा जाता है कि कधैला नाम की कन्या बल्लपुरा रामगढ़ ग्राम में डोडरवती ब्राह्मण परिवार में जन्मी थी. कुछ लोग उन्हें धौला गौत्र के नागवंशी जाट शासक की पुत्री बताते है. उनके द्वारा 9वीं सदी में यहां मंदिर का निर्माण कराया. इसके बाद भक्त और मंदिर ट्रस्ट अनेक बार जीणर्णोद्धार और पुनर्निर्माण करा चुके हैं. माता के भक्त 162 सीढ़ी चढ़कर मंदिर के प्रमुख पीठ पर पहुंचते हैं. बगल में पहाड़ी रास्ते पर पक्की सड़क बना दी गई है. जिससे वाहन मंदिर तक पहुंच जाते है.

 

नवरात्रि में यहां हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, दिल्ली, कोलकाता, राजस्थान आदि प्रांतों के श्रद्धालु मैया के दरबार में ढोक लगाने आते है. और परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं. वही यूपी के मथुरा व आगरा जनपदों के श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है. यहां के भक्तो का मंदिर के विकास में उल्लेखनीय योगदान रहा है.

 

मंदिर महंत राकेश शर्मा ने बताया सबसे पहले यहां धोलागढ़मैया ने किसी बंजारे को दर्शन दिए. उसने सबसे पहले नीचे की तरफ कुआं बनाया. और पौराणिक काल से चार क्षत्रि (गुमटी)बनी हुई है मंदिर के चारों तरफ. भरतपुर के जाट शासको की कुलदेवी है. धोलागढ़ माता का गर्भ ग्रह महाभारत काल से भी पहले का बना हुआ है. वही माता के कोतवाल के रूप में बटुक भैरवनाथ सामने ही विराजित है. वर्तमान में राम दरबार हनुमान जी महाराज गणेश जी महाराज सहित शिव परिवार भी पुरातन काल से ही स्थापित है. वहीं वर्तमान कठूमर विधायक रमेश खींची ने बताया 40 वर्षो से कठूमर से आकर यहीं पर नवरात्रि के व्रत और तप करते थे .परिवार के लोग भी आते थे. अब पारिवारिक कारणों के चलते नहीं आ पाता. पर कोशिश करता हूं कि 9 दिन यहीं पर दर्शन करता रहूं.