Alwar: भगवान जगन्नाथ जी के वैवाहिक कार्यक्रम के तहत मंगलवार को मुख्य कार्यक्रम बारात रूपी रथ यात्रा का रहा. आज शाम शहर के पुराना कटला स्थित जगन्नाथ जी के प्राचीन मंदिर से भव्य रथ यात्रा रवाना हुई. जहां मंदिर से भगवान की रथयात्रा को पुलिस कर्मियों द्वारा पुरे राजकीय सम्मान के साथ सलामी से स्वागत किया गया . इसके बाद भगवान जगन्नाथ की बारात शान के साथ निकाली गई .बारात की रथ यात्रा शुरू होने से पूर्व भगवान जगन्नाथ की आरती जिला कलेक्टर पुखराज सैन और पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा द्वारा की गई . 


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इसके बाद भगवान जगन्नाथ जी को डेड सौ साल पुराने भव्य रथ जिसे इंद्रा विमान का नाम दिया हुआ है .उसमे विराजमान किया गया. उसके बाद भगवान की रथ यात्रा शुरू हुई .भगवान जगन्नाथ जी महाराज पुराना कटला मंदिर से रूपबास स्थित रूप हरी महाराज मंदिर में पहुंची. जहा दो दिन बाद भगवान जगन्नाथ और जानकी मैया की वरमाला महोत्सव मनाया जायेगा.


अलवर के लोग बने बाराती


रथ यात्रा में शहर वासियों से लेकर ग्रामीण और देहाती क्षेत्रों से आये लोग बाराती बने.जगन्नाथ जी को जब रथ में विराजमान किया जा रहा था तो वहां मौजूद भक्तों का सैलाब जगन्नाथ जी और माता जानकी की जय-जयकार कर उठा. बिजली की रोशनी से लकदक दो मंजिला इन्द्र विमान रथ अपनी परम्पराओं के अनुसार जब रूपबास के लिए रवाना हुआ तो श्रद्धालु हाथ जोड़कर खड़े हो गये. रथ में विराजमान भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा मार्ग में पडऩे वाले वैष्णव मंदिरों पर भगवान जगन्नाथ जी की आरती की गई.


जगह-जगह ठंडा पानी और शर्बत पिलाया


रथ यात्रा के साथ चल रही भजन मण्डलियां विशेष आकर्षण का केन्द्र रही. करीब 8 कि.मी. लम्बे रथ यात्रा के मार्ग में लगभग 100 जगह मीठे पानी की प्याऊएं लगाई गई. और 51 मंदिरों के सामने आरती की जाएगी. शहर के स्थानीय होप सर्कस,घंटाघर,पंसारी बाजार तथा मन्नी का बड़ से अशोक सर्किल तक का पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं के सैलाब से अटा पडा था और हर कोई श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ जी की एक झलक देखने के लिए आतुर थे.


मंदिर की गुल्लक का होता है पूजन 


अलवर शहर में आज जगन्नाथ जी महाराज का भव्य रथ निकलेगा. जिसमें मुख्य रथ के साथ सैकड़ों झांकियां प्याऊ होंगी जो करीब 8 किलोमीटर दूर है. भगवान जगन्नाथ का 214 साल पुराना मंदिर है. जहा 167 साल से लगातार भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है. और छह दिवसीय मुख्य मेला का आयोजन होता है. इस संबंध में आज मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां की परंपराओं के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा इस मेले का भव्य आयोजन किया जाता है और जिला कलेक्टर के आगमन के पश्चात ही भगवान जगन्नाथ को दूल्हे के रूप में रथ में विराजित किया जाता है. मंदिर की गुल्लक का पूजन किया जाता है. 


उसके बाद यह अलवर शहर के मुख्य मार्गों से होता हुआ करीब 8 किलोमीटर का सफर तय करते हुए रूपबास पहुंचेगा. जहां इनका मुख्य विवाह आयोजन स्थल होता है. दूल्हे के रूप में पहुंचने वाले भगवान जगन्नाथ जानकी जी को ब्याह कर 30 जून को वापस रूपबास से जगन्नाथ मंदिर पहुंचेंगे.इस रथ यात्रा में सबसे आगे ऊंट चलते है. जो ध्वज लेकर चलते हैं. भव्य रथ यात्रा में सामाजिक संगठनों की झांकियां, पंजाब की स्पेशल बैंड मुख्य रूप से चलेंगे. इस रथयात्रा में मुख्य रूप से इस बार वृंदावन और जयपुर के भक्त आए है. जो जय जगन्नाथ का उद्घोष करते हुए अपनी मंडली के साथ चलेंगे.


Reporter- Asheesh Maheshwari


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