Alwar, Rajgarh: स्थानीय थाना पुलिस ने फर्जी तरीके से दस्तावेज तैयार करने वाले ई-मित्र संचालक सहित तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है.  थानाधिकारी राजेश वर्मा ने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक के शाखा प्रबंधक अभिषेक ने 2 जनवरी को थाने में रिपोर्ट दी कि भारतीय स्टेट बैंक शाखा राजगढ़ से ग्राम सकट निवासी रामधन पुत्र पांया राम, छोटेलाल मीणा पुत्र रामधन मीणा ने 2 लाख 19 हजार रुपए का केसीसी ऋण लिया. लेकिन उसके खाते में करीब 3 लाख 32 हजार रुपए बकाया निकल रहे हैं.


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29 दिसम्बर 2022 को शाखा के फील्ड ऑफिसर सूर्यप्रकाश को पता चला कि ऋणी छोटेलाल मीणा ने फर्जी नोडूज बैंक के लेटर पैड पर 23 दिसम्बर 2022 को बनाकर तहसीलदार राजगढ़ के यहां स्वयं की आराजी खसरा नम्बर 2495, 2553, 2741, 2757, 905 और 908 कुल रकबा 2.07 हैक्टीर में रामधन पुत्र पांचूराम का हिस्सा रहन फक्कम करने बाबत पेश किया. 


उनके द्वारा नोड्यूज 23 दिसम्बर को देखने पर पता चला कि यह नोड्यूज शाखा के फर्जी लेटर पैड पर तैयार किया गया है. जिस पर बैंक के किसी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं हैं और ना ही बैंक के किसी अधिकारी द्वारा जारी किया गया है. इस पर फील्ड ऑफिसर ने सकट गांव जाकर जानकारी जुटाई. 


इस दौरान ऋणी के द्वारा बैंक में 1,72,000 रूपए की 21 जनवरी की जमा पर्ची बताई और 23 दिसम्बर का बैंक द्वारा जारी नोडूज प्रमाण पत्र बताया. रिर्पोट में बताया कि फील्ड ऑफिसर द्वारा पर्ची देखने पर मालूम हुआ कि वह जमा पर्ची फर्जी है. ऋणी द्वारा 21 नवम्बर को बैंक में कोई 1,72,000 रुपये जमा नहीं करवाए गए हैं. इस प्रकार से ग्राम सकट निवासी ऋणी छोटेलाल मीना पुत्र रामधन मीणा के द्वारा फर्जी जमा पर्ची व फर्जी नोडूज प्रमाण पत्र बैंक के लेटर पैड पर तैयार कर बैंक की राशि का गबन करने की भी कोशिश की. जबकि ऋणी की तरफ से बैंक के करीब 3 लाख 20 हजार रुपए बकाया निकल रहे हैं. 


इस संबंध में 30 दिसम्बर को तहसीलदार राजगढ़ को भी लिखा जा चुका है. इस मामले में पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू करदी. जांच में जुटी पुलिस ने फर्जी कागजात तैयार कर बैंक से धोखाधड़ी मामले में सरगना छोटेलाल मीणा पुत्र रामधन मीणा निवासी सकट, हीरालाल सैनी पुत्र गंगालहरी सैनी निवासी राजगढ़ और धौला खोजा की कोठी निवासी राकेश कुमार सैनी पुत्र लहरीराम को गिरफ्तार किया. 


पूछताछ में आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि केसीसी ऋण की राशि को एसबीआई बैंक में कम करवाने के लिए दस्तावेजों में काटछांट की गई. पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपियों के कहने पर ई-मित्र संचालक ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे. जिस पर पुलिस ने ई-मित्र संचालक को भी गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने वारदात में प्रयुक्त एसबीआई बैंक की शील, मोहर व एक सीपीयू को जप्त कर जांच में जुट गई है.