Alwar: गहलोत सरकार ने नरेगा की तर्ज पर शहरों में भी 100 दिन का रोजगार देने का निर्णय लिया ताकि गरीब और बेरोजगारों को राहत मिल सके. इसके तहत इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना का नाम दिया गया. लेकिन अलवर में इस योजना का लाभ महिलाओ को नहीं मिल पा रहा. या यूं कहें उन्हें उनके काम मजदूरी नही मिल पा रही. जिसके चलते महिलाओं को सड़क पर उतरना पड़ रहा है.


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इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य करने वाली महिलाओं को समय पर वेतन नहीं मिलने के चलते महिलाओं ने अलवर में कंपनी बाग में पहुंचकर विरोध प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर कार्यालय तक रैली निकाली और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा. अंजू ने बताया की इस योजना में काम करने वाली महिलाएं अपनी विभिन्न समस्या और वेतन दिलवाने की मांग को लेकर कंपनी बाग में एकत्रित हुई और प्रदर्शन किया राज्य सरकार द्वारा संचालित इन्दिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहर के विभिन्न हिस्सों में वह कार्यरत है. 


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योजना लागू होने से पूर्व राज्य सरकार द्वारा यह आश्वस्त किया गया था कि कार्यरत श्रमिकों को वेतन मजदूरी का भुगतान किया जायेगा लेकिन वह नहीं हो पा रहा है ऐसे में महिलाओ को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है , उन्होंने कहा की हमे आश्वस्त किया गया था कि श्रमिकों को उसी वार्ड में ही कार्य उपलब्ध कराया जायेगा, जिसमें वह निवास करता है. लेकिन ऐसा नही हुआ.


साथ ही ढाई-तीन माह बाद भी वेतन नहीं मिल पाया व कार्य आवंटन चार से पाच किलोमीटर दूर आवंटित किया जा रहा है, वाहन नही हो पाने के चलते यह संभव नहीं हो पाता, इसके अलावा महिला श्रमिकों को वार्ड पार्षदों की धमकी व जाती सूचक शब्दों का इस्तेमाल कर अपमानित किया जाता है.


साथ ही महिलाओ ने आरोप लगाया कार्यस्थल पर पेयजल, महिला श्रमिकों के छोटे बच्चों को कार्यस्थल पर जरूरी सुविधाओं का अभाव, चिकित्सा व्यवस्था नहीं होना, रंग पेंट कार्य में कार्यरत श्रमिकों को ड्रेस, श्रमिक पहचान पत्र, कार्य करने के लिए टूल्स आदी का उचित प्रबन्ध भी नहीं मिल पाता है.


इसके अतिरिक्त सालभर में श्रमिको को कम से कम 200 दिन का रोजगार व 600/- रूपया प्रतिदिन के हिसाब से राशि मिलनी चाहिए , सर्दी व शीत लहर के दिनों में कार्य के समय आदी में फेर बदल करने की भी मांग की गई है.