किसान सम्मान निधि में हुआ बड़ा घपला, फर्जी तरीके से अपात्र किसानों को बांट दिए 29 करोड़
अलवर के थानागाजी विधानसभा क्षेत्र में किसान सम्मान निधि में बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां करीब 43 हजार अपात्र किसानों को 29 करोड़ रुपये बांट दिए गए.
Thanagazi: राजस्थान के अलवर के थानागाजी विधानसभा क्षेत्र में किसान सम्मान निधि में बड़ा घोटाला सामने आया है. यहां करीब 43 हजार अपात्र किसानों को 29 करोड़ रुपये बांट दिए गए. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें शामिल अपात्र अधिकांश विशेष समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोग महाराष्ट्र, बंगाल और यूपी के लोग है. थानागाजी की आबादी एक लाख 60 हजार है जिसमें करीब 30 हजार किसान है लेकिन किसान सम्मान निधि 74 हजार किसानों में 29 करोड़ की राशि बांट दी गई.
विभागीय अधिकारियों की जानकारी में आने के बाद मीडिया से छुपाते हुए गुपचुप एक एफआईआर भी दर्ज करा दी गई और किसान निधि में जाने वाली किश्तों को भी रोक दिया गया. इस मामले में एक जांच कमेटी भी बनाई गई है लेकिन सवाल उठता है कि इतने बड़े भ्रष्टाचार मामले में अधिकारी क्यों चुप्पी साधे रहे जबकि किसान सम्मान निधि योजना में शामिल होने के लिए तीन तरीको से रजिस्ट्रेशन होता है. पहली प्रक्रिया ई-मित्र और दूसरी कॉमन सर्विस सेंटर और तीसरी सीएससी यानी खुद से आवेदन भी कर सकते है.
इस प्रक्रिया के बाद भौतिक सत्यापन भी एक प्रक्रिया है लेकिन उसकी अनदेखी के चलते यह बड़ा घपला हुआ है. इस योजना में शामिल करीब 14 हजार लोगों ने सीएससी से आवेदन किया यानी सेल्फ रजिस्ट्रेशन. इस मामले में तहसीलदार दिनेश मीणा का कहना है कि यह मामला उनके आने से पहले का है तत्कालीन तहसीलदार द्वारा एफआईआर भी दर्ज करा दी गई थी, जिन खातों में पैसा गया है उनकी जांच कर जो भी विधिक कार्रवाई होगी वो की जाएगी. सवाल उठ रहे हैं कि यहां जब किसान 30 हजार है तो 74 हजार किसानों को किस तरह किसान सम्मान निधि बांटी गई. यहां किसान सम्मान निधि पाने वाला हर दूसरा खाता दूसरे राज्य का निकल रहा है.
अधिकांश लोग विशेष समुदाय के है जबकि इस क्षेत्र इतने विशेष समुदाय के कुल लोग भी नहीं रहते जितने इस समाज के लोग किसान सम्मान निधि योजना में रजिस्टर्ड है. इन मामलों में विभागीय अनदेखी या मिलीभगत से भी इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि पात्र लोगों की तहसीदार द्वारा न तो जांच की गई न ही भौतिक सत्यापन किया गया जबकि ये तमाम आवेदन खुद थानागाजी तहसीलदार की आईडी से ही स्वीकृत हुए है. इनके खाते में जनवरी 2022 तक 146 897 किश्तों में करीब 29 करोड़ 37 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
Reporter: Jugal Gandhi
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