Alwar:उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने बानसूर में अनाथ बच्चों के साथ मनाई दीवाली,कही ये बड़ी बात
अलवर के बानसूर में उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने अनाथ बच्चों के साथ मनाई दीवाली. इस दरान उन्होंने राजस्थान के मुख्य्मंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया .
Alwar: अलवर के बानसूर में उद्योग मंत्री शकुंतला रावत अनाथ बच्चों के साथ दीवाली मनाने के लिए पहुंची. उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कोरोना के चलते अनाथ हुए बानसूर के प्रिया, पायल और यशवंत से मुलाकात की और उन्हें दीपावली की शुभकामनाएं दी. इस दौरान उन्होंने कहा आज के बाद कोई इन्हें अनाथ नही कहेगा मैं इनकी मां हुन, इनकी गार्जियन हूँ.दिवाली के मौके पर कोरोना में पिता का साया खो चुके बच्चो से मिलने पहुंची उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने बच्चों के कोरोना से पीड़ित परिवारों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के बारे में भी जानकारी ली. वहीं बच्चों ने उद्योग मंत्री से कहा कि सरकार की तरफ से उन्हें ₹1लाख रूपये अर्जेंट और 5 लाख रूपए प्रिया के 18 वर्ष पर मिल चुके हैं. वही उन्हें 2500 रूपए प्रतिमाह पैंशन के रुप में मिल रहें हैं.
वहीं बच्चों ने अपने घर तक रास्ता बनने के लिए उद्योग मंत्री से कहा, जिस पर उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने सभी अधिकारियों को मौके पर ही अनाथ बच्चों के घर तक रास्ता निकलवाने के लिए निर्देश दिए. उद्योग मंत्री शकुंतला रावत बच्चों से मिलकर भावुक हो गई. और कहा कि आज के बाद इनको कोई अनाथ नहीं कहेगा. इनको किसी भी चीज की जरूरत होगी तो उनकी मदद करने के लिए वें तैयार है. वहीं उन्होंने कहा की राजस्थान के मुख्य्मंत्री अशोक गहलोत का जितना आभार जताया जाए उतना कम है। पूरे राजस्थान में जितने भी कर्मचारी, अधिकारी, मजदूर चाहे किसी की भी कोरोना संक्रमण से मौत होने पर सरकार ने पूरा सहारा दिया है. वहीं उनके पीछे से उनके बच्चों को पूरा लाभ मिला हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य्मंत्री ने अनाथ बच्चों के साथ दीवाली मनाई और उनकी समस्या सुनी और उनकी समस्या के समाधान के निर्देश दिए.
बच्चों ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों से पूछा कि आगे चलकर आप भविष्य में क्या बनना चाहोगे तो, प्रिया ने कहा कि वह टीचर बनना चाहती है और पायल ने सिविल सर्विस में जाने की बात कही. वहीं मुख्य्मंत्री ने सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि की जानकारी ली.
गौरतलब है की बानसूर के प्रिया, पायल और यशवंत के पिता मूलचंद की कोरोना संक्रमण से मौत हो गई थी. वहीं उनकी माता की पहले ही मौत हो गई थी. इसके बाद परिवार में केवल दादी ही एक सहारा बची थी, वो भी पिता की मौत के तीन महीने बाद चल बसी. जिसके चलते तीनों बच्चों के परिवार में अब कोई सहारा नहीं है.
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