Kishangarh Bas: बानसूर तहसील के नांगल लाखा में घटित प्रकरण के आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर राजस्थान सेवा परिषद के जरिए राजस्थान पटवार संघ और राजस्थान कानूनगो संघ शाखा किशनगढ़बास व तहसीलदार किशनगढ़बास ने  कलेक्टर के नाम उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है.


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राजस्थान सेवा परिषद के जरिए  राजस्थान पटवार संघ व राजस्थान कानूनगो संघ शाखा व तहसीलदार किशनगढ़बास ने बानसूर तहसील के नांगल लाखा में घटित प्रकरण के आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर जिला कलेक्टर के नाम उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. दिए गये ज्ञापन में बताया गया कि, राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेशों की पालना और कलेक्टर अलवर के लिखित आदेशों की पालना में 5 मार्च को गांव में अतिक्रमण हटाने गई. 


 राजस्व टीव और पुलिस पर अतिक्रमणकारी पूर्व सरपंच व वर्तमान सरपंच के परिजनों के जरिए सुनियोजित तरीके से हमला कर तहसीलदार व थानाधिकारी की गाड़ियों के शीशे तोड़ते हुए हल्का पटवारी अतुल यादव के पैर पर लाठी-सरियों से वार कर फैक्चर किए थे. इस घटना के प्रकरण में थाना हरसौरा में 20 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. वर्तमान में इन आरोपियों के खिलाफ अलवर के एससी/एसटी कोर्ट  से स्टैंडिंग वारन्ट निकले हैं. लेकिन आरोपी खुलेआम घूमकर पटवारी, गिरदावर को क्षेत्र में आने पर जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं. 


अन्य ग्रामीण पटवारी, गिरदावर को राजस्व कार्यों के लिए क्षेत्र में आने का कह रहे हैं. डर, भय व असुरक्षा के अभाव में राजस्व कर्मी अपने राजस्व कार्यों का कुशलता से सम्पादन नहीं कर पा रहे हैं. इसी कारण बानसूर राजस्व सेवा परिषद के जरिए  20 जुलाई को कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर, 5 दिन का अल्टीमेटम देते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर 25 जुलाई से मजबूरन कार्य बहिष्कार करने की चेतावनी दी गई थी. परन्तु उच्च अधिकारियों  के जरिए राजस्व विभाग की  पीड़ा को गम्भीरता से नहीं लेने पर राजस्व सेवा परिषद बानसूर कार्मिक 25 जुलाई से अनिश्चित कालीन कार्य बहिष्कार कर उपखण्ड कार्यालय बानसूर पर धरनें पर बैठे हैं.


 ज्ञापन के माध्यम से निवेदन किया गया है कि, आगामी तीन दिन में आरोपियों की गिरफ्तारी करवाकर राजस्व परिवार को सुरक्षा का भाव प्रदान करते हुए क्षेत्र में फेले अराजकता के माहौल को दूर करवाए. संभागीय आयुक्त की अनुशंषा के तीन महीने बीत जाने के बाद भी वर्तमान सरपंच के निलम्बन के आदेश जारी नहीं होने के कारणों की जांच करवाकर तत्काल निलम्बन आदेश जारी करवाए जाए. यदि इसके उपरान्त भी उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो आगामी रणनीति तय कर मजबूरन अन्दोलन उग्र करना पड़ेगा, जिससे होने वाली आमजन की परेशानियों की जिम्मेदारी राज्य सरकार और प्रशासन की होगी.


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