कुम्हारों पर महंगाई की मार, भीगी आंखों से बोले- बिक्री नहीं, कैसे मनाएं दिवाली त्योहार

Alwar News: इस बार दीपोत्सव के पर्व पर रोशनी को और महकाने के लिए कुंभकार मिट्टी के दीए बनाने में व्यस्त हैं. चिकनी मिट्टी महंगी होने से कुंभकारों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आती हैं. अलवर शहर में जहां मिट्टी लगभग खत्म हो चुकी है, वहीं, मिट्टी की एक ट्रॉली रामगढ़ और किशनगढ़बास क्षेत्र से 4000 में आ रही है. जो मिट्टी की ट्रॉली 2 महीने पहले 2000 हजार की थी, उससे अब दुगनी कीमत पर लाना पड़ रहा है.

जी राजस्थान वेब टीम Thu, 24 Oct 2024-1:48 pm,
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मिट्टी महंगी है

कुम्हारपाड़ी निवासी कुंभकार राजेंद्र ने बताया अभी मिट्टी महंगी है पर हम और तरह के काम नहीं कर सकते. इस कारण दिए, गुल्लक, मटकी, बड़े दिए और राक्षसी मुखौटा बनाकर बाजार में बेचने के लिए बना रहे हैं. घर की महिलाओं सहित बच्चे बूढ़े भी काम में हाथ बंटाते हैं.

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100 दिए 80 रुपये के मिल रहे

ZEE राजस्थान की टीम जीरो ग्राउंड पर जाकर देखा तो कुंभकार राजेंद्र भट्टी में कच्चे दियों को पकाने के लिए रख रहे थे. एक बार में ही 15000 दिए हल्की माध्यम आंच में पकाए जाते हैं. अभी वर्तमान में बाजार का थोक भाव 40 रुपये में 100 दिए का है. वही रिटेल में 100 दिए 80 रुपये के मिल रहे हैं. महंगाई को देखते हुए इनको बनाने की कीमत भी नहीं निकल रही है. बस काम है करते जा रहे है. और बच्चों का पेट भर रहे हैं. 

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बस घर का खर्च चल जाता

घर की छोटी बच्चियों और महिलाएं बड़े दियो को रंग में डुबोकर धूप में रख रही है. जो यहां से 5 रुपये का जाता है और बाजार में 20 रुपये का बिकता है. स्कूल के छात्र निखिल ने बताया मैं छुट्टी होने के बाद आकर घर पर बिजली की चाक पर दिए बनाता हूं. बस घर का खर्च चल जाता है. वही उसकी बहन वंशिका स्कूल से आकर राक्षसी रूप मुखोटे पर रंग करती है और बताती है हमारे यहां से थोक में 70 का बिकता है और बाजार में 100 रुपये से और अधिक में बिकता है. मेरे पापा समोसा कचौड़ी बेचने वाले की दुकान पर काम करते हैं. सुबह जब जाते है. तो काम करके जाते हैं.

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यहां बन रहे दिए

परंपरागत चाक पर दिए बनाने का चलन अब खत्म सा होता जा रहा है. बिजली की मोटर पर बने चाक से दिए बनाए जा रहे हैं. अलवर में विशेष रूप से चावड पाड़ी ,कुम्हार पाडी, रामगढ़ मालाखेड़ा किशनगढ़ बास सहित अलवर के एक दर्जन से अधिक मोहल्ले में कुंभकार दीपक बनाने का काम करते हैं.

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