Ram mandir: अलवर के रामगढ़ में रहने वाले सिंघल परिवार को राम मंदिर का न्यौता मिला है. परिवार में खुशी का माहौल है. लेकिन 34 साल बाद जवान बेटे की शहादत की जानकारी देते हुए बड़े भाई और भाभी की आंखों से आंसू छलकने लगे. 27 साल के रामावतार बिना परिवार को बताए 25 अक्टूबर 1990 में जयपुर से 50 लोगों के साथ अयोध्या गए. वहां हनुमानगढ़ी मंदिर के पास हेड पंप पर पानी भरते हुए राम अवतार की कनपटी पर गोली लगने से मौत हो गई. परिवार को रामावतार का शव तक नहीं मिला. बड़े भाई ने 2 साल तक इस पूरी घटना को परिवार से छुपा कर रखा. आज परिवार खुश है. लेकिन आज भी उनकी आंखें नम है.


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 22 तारीख को अवकाश घोषित
22 तारीख को अयोध्या में राम मंदिर में भगवान राम विराजमान होंगे. भगवान राम के इस कार्यक्रम को पूरे देश में दिवाली की तरह मनाया जाएगा. अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. तो राजस्थान व उत्तर प्रदेश सहित के राज्यों में 22 तारीख को अवकाश घोषित कर दिया है. लोगों के अयोध्या पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इन सब के बीच राम मंदिर समिति की तरफ से कार सेवकों के परिजनों को भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का न्यौता दिया गया है. अलवर के रामगढ़ में रहने वाले पूरणमल सिंगल को भी राम मंदिर का निमंत्रण मिला है. पूरणमल के छोटे भाई राम अवतार सिंघल अयोध्या में शहीद हो गए थे. 


50 लोगों का एक ग्रुप 
रामावतार सिंगल जेडीए में ड्राफ्टमैन थे व आरएसएस से जुड़े हुए थे. पूरण मल ने ZEE मीडिया को बताया कि 15 अक्टूबर को वो अपनी बहन को आरएएस की परीक्षा दिलवाने के लिए जयपुर गए थे. जयपुर से वो अपने साथियों के साथ 50 लोगों का एक ग्रुप अयोध्या गया. ज्यादातर लोग एक सप्ताह में लौट कर आ गए. लेकिन राम अवतार नहीं लोटे. राम अवतार ने अयोध्या जाने की जानकारी भी परिवार को नहीं दी थी. कुछ दिनों तक जब रामवतार लोट कर नहीं आए. तो परिवार ने उनकी तलाश शुरू की. इस दौरान उनके भाई कई बार अयोध्या गए. लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली. अंत में पता चला की अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर पर 2 नवंबर 1990 में पानी भरते समय राम अवतार की कनपटी पर गोली लगी, जिससे उनकी मौत हो गई.


अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाया परिवार 
रामावतार के परिजनों को उनका शव तक नहीं मिला. परिवार को राम अवतार के कपड़े और पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली. परिवार के लोग उनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर पाए. तो राम अवतार का नहीं लौटने का सदमा पूरे परिवार को लगा. बड़े भाइयों ने इस पूरी घटना की जानकारी पिता रतनलाल से छुपाई. दो साल तक परिवार को उम्मीद थी कि रामावतार घर लौटेंगे. लेकिन जब कुछ सालों तक राम अवतार नहीं लौटे. तो परिवार ने मान लिया कि वो अब नहीं आएंगे. रामावतार के भाइयों में पूरणमल सबसे बड़े भाई हैं. राम अवतार तीसरे नंबर के थे. इसके अलावा जगदीश प्रसाद और प्रकाश चंद्र उनके भाई है. व दो बहने हैं. 


पत्नी संतोष की आंखों में आंसू
इसमें सरल और इंदिरा शामिल है. रामावतार की शादी नहीं हुई थी. ZEE मीडिया से बात करते हुए पूरणमल और उनकी पत्नी संतोष की आंखों से आंसू छलकने लगे. संतोष ने कहा कि वो परिवार की सबसे बड़ी बहू है. इसलिए उनके देवर व उनके बच्चों के समान थे. राम अवतार बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे. संतोष ने कहा कि आज तक भी परिवार को उनकी कमी महसूस होती है. परिवार का सपना था और उनको विश्वास था कि एक दिन राम मंदिर बनेगा और राम मंदिर का निर्माण होगा. तो उसके प्राण प्रतिष्ठा में उनको बुलाया जाएगा. राम मंदिर का न्यौता मिलने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है. 



पूरणमल प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे और उसकी तैयारी भी उन्होंने शुरू कर दी है. राम मंदिर समिति की तरफ से उनके पास फोन आया है और उनके रहने और भोजन की व्यवस्था भी अयोध्या में हो चुकी है. ऐसे में एकल परिवार राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का साक्षी बनेगा.


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