Bhajan Lal Sharma: राजस्थान की जनता ने राज बदला तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने राजस्थान का 25 साल से चला आ रहा रिवाज भी बदल दिया. दरअसल राजस्थान में पिछले 25 सालों से एक बार अशोक गहलोत तो दूसरी बार वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री बन रही थी, लेकिन भाजपा ने इस रिवाज को बदलते हुए सांगानेर से पहली बार विधायक चुने गए भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया. 


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राजस्थान में पिछले 5 साल पर्चा लीक की खूब चर्चा रही और यही वजह गहलोत सरकार की विदाई का कारण भी बनी, लेकिन मुख्यमंत्री के नाम का पर्चा लिक नहीं हो सका. आखिरी वक्त तक कयासबाजी और अटकलें लगती रही और अंत में एक पर्चे से ही भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान हुआ. दरअसल विधायक दल की बैठक से पहले एक बंद लिफाफा लेकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह जयपुर पहुंचे. इसके बाद विधायक दल की बैठक से ठीक पहले उन्होंने एक पर्ची वसुंधरा राजे को पकड़ाई, जैसे ही राजे ने पर्ची पढ़ी तो चौंक गई, हालांकि कुछ देर बाद उन्हें ही प्रस्तावक बनाया गया और वसुंधरा राजे ने भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान किया.


इस पूरे घटनाक्रम में सस्पेंस ऐसा रहा कि भजनलाल शर्मा अंत तक कहते रहे कि मैं मुख्यमंत्री की रेस में नहीं हूं और जब विधायक दल की बैठक में पर्ची खुली और नाम का ऐलान हुआ तो कुछ पलों के लिए सारे विधायक दंग रह गए. 9 दिनों से जयपुर से लेकर दिल्ली तक चल रही हलचल पल भर में थम गई. 


भजनलाल क्यों चुने गए राजस्थान के मुख्यमंत्री


भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव का मद्देनजर रखते हुए तीनों राज्य में मुख्यमंत्री का चयन किया है. इसके जरिए भाजपा ने अपने ब्राह्मण वोट बैंक को और मजबूत कर लिया है, भजनलाल शर्मा ब्राह्मण है,


-राजस्थान में आखिरी ब्राह्मण मुख्यमंत्री 1990 में हरिदेव जोशी बने थे


-राजस्थान में बीजेपी ने फिर से 33 साल बाद ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनाया


-उत्तर भारत में राजस्थान एकमात्र राज्य है जहां मुख्यमंत्री ब्राह्मण होगा


-उप्र, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, एमपी में ब्राह्मणों को डिप्टी सीएम बनाया है लेकिन सीएम नहीं


-राजस्थान में तकरीबन आठ फीसदी ब्राह्मण, यूपी में 10 से 12%, हिमाचल में 18 फ़ीसदी, मध्य प्रदेश में 6 फ़ीसदी और बिहार में 4% ब्राह्मण आबादी है,


ब्राह्मण को मुख्यमंत्री बनने के क्या मायने


ब्राह्मण वोटर मूल रूप से बीजेपी का ही कोर वाटर माना जाता है, लिहाजा ऐसे में भाजपा ने राजस्थान के जरिए पूरे उत्तर भारत में इस वोट बैंक को और मजबूत करने की कोशिश की है.


भाजपा को थी ब्राह्मण चेहरे की तलाश


भाजपा ने छत्तीसगढ़ में आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया तो वहीं मध्य प्रदेश की आधी आबादी .यानी ओबीसी समाज से प्रतिनिधित्व दिया गया, ऐसे में अवब राजस्थान में भाजपा को एक ब्राह्मण चेहरे की तलाश थी, हालांकि कहा जा रहा है कि इसके लिए भाजपा ने 3 महीने पहले ही तैयारी कर ली थी और उस वक्त ही भजन लाल का नाम मुख्यमंत्री की फेहरिस्त में शामिल हो गया था, इस बात की तसदीक इसलिए भी होती है कि भजन लाल शर्मा भरतपुर से टिकट मांग रहे थे, लेकिन उन्हें सांगानेर की सुरक्षित सीट से टिकट दिया गया और फिर मुख्यमंत्री चयन की बात आई तो भजनलाल शर्मा सबको पछाढ़ते हुए आगे निकल गए.