Jhotwara Vidhansabha Seat: झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर को मैदान में उतरा तो कांग्रेस ने NSUI से प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी को  मैदान  उतरा तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी आशु सिंह सुरपुरा ने चुनाव मैदान में उतरकर झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र को त्रिकोणीय समीकरण में बदल दिया. हालांकि झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र सीट परंपरागत रूप से भारतीय जनता पार्टी की सीट रही है. भाजपा के राजपाल सिंह शेखावत लगातार 2 बार झोटवाड़ा से जीतकर विधानसभा पहुंचे है.


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प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट  झोटवाड़ा परिसीमन के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. परिसीमन के बाद लगातार दो चुनाव में झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने जीत दर्ज की है. 2008 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राजपाल सिंह शेखावत 2455 मतों से जीतकर झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर काबिज हुए. उसके बाद 2013 में लगातार दूसरी बार राज्यपाल सिंह शेखावत 19602 मतों से जीतकर झोटवाड़ा विधानसभा सीट पर फिर से काबिज हुए.


2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लालचंद कटारिया ने 11447 मतों से जीत दर्ज कर भाजपा की परंपरागत झोटवाड़ा सीट को भाजपा के हाथों से छीन लिया. ऐसे में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और झोटवाड़ा से लालचंद कटारिया कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन 2023 के चुनाव में लालचंद कटारिया ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया. इसके बाद भाजपा को अपनी परंपरागत सीट को वापस अपने हाथ में लेने का एक मौका मिला है. और भाजपा के बड़े चेहरे 2 बार सांसद व केंद्रीय मंत्री रहे कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर को झोटवाड़ा से मैदान में उतारा. वहीं कांग्रेस ने भी NSUI के प्रदेश अध्यक्ष अभिषेक चौधरी पर दाव खेला, तो वहीं निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में झोटवाड़ा से आशु सिंह सुरपुरा भी मजबूती से मैदान में रहे जिसके चलते झोटवाड़ा था त्रिकोणीय समीकरण बना. लेकिन भारतीय जनता पार्टी को अपनी परंपरागत सीट झोटवाड़ा को वापस अपने कब्जे में लेने के लिए भरसक प्रयास किए और कई दिग्गज नेताओं की सभा व रोड शो भी किए.


अब देखने वाली बात यह है कि 3 नवंबर को भारतीय जनता पार्टी अपनी इस परंपरागत सीट को वापस हासिल कर पाती है या फिर से कांग्रेस वापस से रिपीट होकर झोटवाड़ा सीट बीजेपी से छीन लेती है या फिर दोनों ही पार्टियों के हाथों से निर्दलीय प्रत्याशी इस सीट को जीत कर पूरी तरह समीकरण बदल पाते हैं इसका फैसला आगामी 3 नवंबर को होगा.


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