Rajasthan Election: नागौर की वो सीट जहां से हनुमान बेनीवाल ही नहीं उनके पिता और भाई भी जीते, 40 साल पुरानी है मिर्धा से लड़ाई
Khinwsar Vidhansabha Seat : नागौर की खींवसर विधानसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल और फिर उनके भाई नारायण बेनीवाल ने जीत हासिल की. इस सीट पर पिछले 40 सालों से बेनीवाल वर्सेस मिर्धा की सियासी अदावत जारी है.
Khinwsar Vidhansabha Seat : नागौर की खींवसर विधानसभा सीट भले ही 2008 में अस्तित्व में आई हो लेकर इसका इतिहास उससे भी पुराना है. यह सीट पहले मुंडवा निर्वाचन क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी. जहां से हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव ने दो बार जीत हासिल की. बाद में इस सीट पर हनुमान बेनीवाल और फिर उनके भाई नारायण बेनीवाल ने जीत हासिल की. इस सीट पर पिछले 40 सालों से बेनीवाल वर्सेस मिर्धा की सियासी अदावत जारी है.
खासियत
2008 के विधानसभा चुनाव से पहले यह सीट मुंडवा विधानसभा सीट के तौर पर जानी जाती थी. हालांकि परिसीमन के बाद इस सीट के समीकरण भी बदल गए. मुंडवा विधानसभा सीट पर हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव बेनीवाल की पारंपरिक सीट भी रही है. इस सीट से रामदेव बेनीवाल ने भी दो बार जीत हासिल की जबकि एक बार हरेंद्र मृदा तीन बार हबीब बुक रहमान और एक बार उषा पूनिया ने जीत हासिल की दिलचस्प इस सीट की और खास का बेनीवाल परिवार की यह सीट पारंपरिक रही है और इससे भी दिलचस्प यह है कि भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत चुके हैं. हनुमान बेनीवाल के पिता ने 1977 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. हालांकि उसके बाद 1985 में उन्होंने लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. इसके बाद 2008 में हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी के टिकट पर 2013 में निर्दलीय और 2018 में अपनी पार्टी आरएलपी से चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की. 2019 के उपचुनाव में बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने जीत हासिल की.
जातीय समीकरण
पहले मूंडवा और बाद में खींवसर के रूप में जाने जाने वाली इस सीट पर शुरू से ही जाट समाज का दबदबा रहा है. इसके अलावा यहां बड़ी संख्या में दलित मतदाता भी है. ऐसे में चुनाव में जीत और हार में एक अहम भूमिका दलित मतदाताओं का भी होता है.
मिर्धा वर्सेस बेनीवाल
यहां पर बेनीवाल और मिर्धा की लड़ाई 40 साल पुरानी है. 1980 में हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव को हरेंद्र मिर्धा को हराया था. जबकि 1985 में रामदेव ने मिर्धा को शिकस्त दी. वहीं रामदेव के बेटे नारायण बेनीवाल से हरेंद्र मिर्धा को शिकस्त मिली.
परिसीमन से पहले राजस्थान विधानसभा का मुड़वा निर्वाचन क्षेत्र परिणाम
• 1977- राम देव (कांग्रेस जनरल)
• 1980- हरेन्द्र मिर्धा (कांग्रेस जनरल)
• 1985- राम देव (एलकेडी-जनरल)
• 1990- हबीबुर रहमान (कांग्रेस जनरल)
• 1995 - हबीबुरेहमान (कांग्रेस जनरल)
• 1998 - हबीबुरेहमान (कांग्रेस जनरल)
• 2003 उषा पुनिया (भाजपा-जनरल)
खींवसर विधानसभा का इतिहास
पहला विधानसभा चुनाव 2008
खींवसर सीट के पहले विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी की ओर से हनुमान बेनीवाल चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं कांग्रेस ने सहदेव चौधरी को चुनावी मैदान में उतारा. जबकि यहां बहुजन समाजवादी पार्टी के दुर्ग सिंह ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. इस चुनाव में हनुमान बेनीवाल के पक्ष में 58,760 वोट पड़े तो वहीं ही बसपा के दुर्ग सिंह 34 हजार से ज्यादा वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. जबकि कांग्रेस के सहदेव चौधरी तीसरे स्थान पर रहे.
दूसरा विधानसभा चुनाव 2013
2013 का विधानसभा चुनाव चतुष्कोणीय रहा. 2013 में भाजपा ने हनुमान बेनीवाल को पार्टी से निष्कासित कर दिया. हनुमान बेनीवाल ने निर्दलीय ही ताल ठोक दी, जबकि बीएसपी की ओर से दुर्ग सिंह चुनावी मैदान में उतरे. वहीं भाजपा ने भागीरथ को तो कांग्रेस ने राजेंद्र को टिकट दिया. इस चुनाव में प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों पहले और दूसरे स्थान में भी जगह नहीं बन पाई और हनुमान बेनीवाल की जीत हुई. बेनीवाल के पक्ष में 65,399 वोट पड़े तो वहीं दूसरे स्थान पर रहने वाले बसपा के दुर्ग सिंह को 42,379 वोट मिले. जबकि तीसरे स्थान पर भाजपा और चौथे स्थान पर कांग्रेस रही.
तीसरा विधानसभा चुनाव 2018
2018 के विधानसभा चुनाव आते-आते तक हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की स्थापना कर दी. बेनीवाल ने अपनी पार्टी से ही खींवसर से चुनाव लड़ा जबकि कांग्रेस की ओर से सवाई सिंह चौधरी ने ताल ठोकी. वहीं बीजेपी ने रामचंद्र को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में एक बार फिर हनुमान बेनीवाल की जीत हुई. उन्हें 83,096 वोट मिले तो वहीं उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सवाई सिंह चौधरी 66,000 वोटों के साथ रहे जबकि बीजेपी तीसरे स्थान पर खिसक गई.
उपचुनाव 2019
2018 में हनुमान बेनीवाल ने इस सीट से जीत दर्ज की. हालांकि बाद में बेनीवाल ने नागौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. बेनीवाल के सांसद बनने से यह सीट खाली हो गई थी. लिहाजा ऐसे में यहां उपचुनाव कराने पड़े. कांग्रेस ने इसी पर एक बार फिर हरेंद्र मिर्धा को चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन कर लिया और यहां संयुक्त रूप से नारायण बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतारा गया. इस चुनाव में नारायण बेनीवाल ने हरेंद्र मिर्धा को 4,630 वोटों के अंतर से शिकस्त दी और नारायण बेनीवाल की जीत हुई. नारायण बेनीवाल के पक्ष में 49% से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान किया जबकि हरेंद्र मिर्धा को 46 फ़ीसदी मतदाताओं का ही साथ मिला.
ये भी पढ़ें
Rajasthan RAS Transfer: 17 RAS तबादला सूची में लापरवाही या चूक?
Rajasthan Election: कांग्रेस का चुनावी मोड ऑन,वॉर रूम में तैयारियों को लेकर आज बड़ी बैठकें