Kotputali: BJP के पटेल और कांग्रेस के यादव का खेल बिगाड़ने के लिए तैयार हैं सैनी और गोयल, जानें क्या है जनता का मूड
कोटपूतली-बहरोड़ को मिलाकर नव गठित जिला घोषित किया गया है, जिसमें 4 विधानसभाओं को मिला कर जिला बनाया गया है. कोटपूतली राजनीति पहलू से काफी अहम स्थान रखती है.
Kotputali Vidhansabha Seat: कोटपूतली-बहरोड़ को मिलाकर नव गठित जिला घोषित किया गया है, जिसमें 4 विधानसभाओं को मिला कर जिला बनाया गया है. कोटपूतली राजनीति पहलू से काफी अहम स्थान रखती है. कोटपूतली खेतड़ी रियासत के अधीन आया करता था, जिसमें कोटपूतली-खेतड़ी रियासत काल के दौरान कोर्ट नाजिम यहां बैठते थे और कानून संबंधी कार्य सम्पादित कार्य कोट के माध्यम से हुआ करते थे. पहले कोटपूतली का नाम अमरावती शहर के नाम से जाना जाता था. शहर पास के पुतली गांव को मिलाकर कोट व पूतली को मिला कर कोटपूतली नामकरण किया गया.
कोटपुतली में मुख्यतया लोग कृषि व पशुपालन से जुड़े हुए है. कभी अमरावती के नाम से जाना जाने वाला कोटपूतली क्षेत्र जयपुर जिले का अंतिम छोर हरियाणा बॉर्डर से लगता हुआ जयपुर - दिल्ली हाईवे पर बसा हुआ है. कोटपुतली में पहले राजस्थान में जिस पार्टी की सरकार सत्ता में होती थी ठीक उसके विपरीत दूसरी पार्टी का MLA चुनाव जीतता था. लेकिन इस बार राजेंद्र सिंह यादव ने यह मिथक दो बार लगातार जीत कर तोड़ा और चुनाव जीतकर गृह राज्यमंत्री भी बने.
सीट के जातिगत समीकरण
जातीय समीकरण के हिसाब से कोटपूतली में गुर्जर मतदाता सबसे ज्यादा है, जिसके बाद एससी-एसटी के मतदाता सबसे ज्यादा है. वहीं यादव, सैनी, ब्राह्मण, राजपूत व कुमावत मतदाता भी खासी तादात में है. लेकिन जीत-हार का फैसला एससी-एसटी मतदाता ही करते है. इलाके के मुद्दों की बात करें तो मौजूदा विधायक व मंत्री राजेंद्र सिंह यादव कोटपूतली में विकास को अपना मुद्दा मानते है और वर्षों से चली आ रही मांग के अनुरूप कोटपुतली को जिला बनाकर विकास के दावे कर रहे है.
वहीं विपक्षी इसे सिरे से नकारते है. जिले को दो भागों में बाटकर कोटपूतली की जनता से खिलवाड़ किया है....विधायक राजेंद्र सिंह यादव का दावा हैं कि जितना विकास उन्होंने कोटपूतली क्षेत्र में किया है. उतना यहां पहले कभी नहीं हुआ. आजादी के बाद सड़कों के अभाव में कनेक्टिविटी नहीं होने से विकास में पिछड़े कई गांवों को मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है. साथ ही वर्षों से चली आ रही जिले की मांग को भी पूरा किया है.
जातिगत वोटर समीकरण
गुर्जर - 45 हज़ार
SC-ST- 43 हज़ार
यादव - 39 हज़ार
सैनी - 23 हजार
ब्राह्मण - 21 हजार
राजपूत- 19 हज़ार
कुमावत - 17 हजार
जाट - 13 हजार
शेष- अन्य जातियां के मतदाता है
प्रमुख चुनावी मुद्दे
01.कोटपुतली को स्वतंत्र जिला नहीं बना पाना,
02. पेयजल की भारी समस्या,
03. कानून व्यवस्था मे बिगाड़,
04. मास्टर प्लान के नाम पर कस्बे में की गई तोड़फोड़,
05 मंत्री व उनके परिजनों की फेक्ट्री व घर पर IT व ED की रेड को लेकर मंत्री के प्रति लोगों का विश्वास कम होना
सियासी समीकरण
वैसे तो कोटपूतली में चुनावों मे जातीय समीकरण सबसे ज्यादा हावी रहते है, लेकिन इस बार मास्टर प्लान के नाम पर कस्बे में की गई तोड़फोड़, मौजूदा विधायक राजेंद्र यादव के परिजन की फेक्ट्री पर IT व ED की रेड का मामला काफी चर्चा में है.
चुनावी समीकरण -
कोटपूतली शुरू से ही प्रदेश की राजनीति में अहम स्थान रखता आया है. कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र में कुल वोटर संख्या 2 लाख 54 हज़ार है.
इस सीट से 1952 में कांग्रेस के हजारी शर्मा,
1953 में कांग्रेस के हजारी शर्मा,
1957 में जनसंघ के रामकरण,
1962 में कांग्रेस के मुक्तिलाल,
1967 में स्वतंत्र पार्टी के श्रीराम रावत,
1972 में स्वतंत्र पार्टी के सुरेश चंद,
1977 में निर्दलीय के तौर पर रामकरण,
1980 में कांग्रेस के श्रीराम,
1985 के निर्दलीय के तौर मुक्तिलाल,
1990 में निर्दलीय के तौर पर रामकरण सिंह,
1993 में कांग्रेस के रामचंद्र रावत,
1998 में भाजपा के रघुवीर सिंह,
2003 में निर्दलीय के तौर पर सुभाष शर्मा,
2008 में LSWP के रामस्वरूप कसाना,
2013 में कांग्रेस के राजेंद्र यादव व 2018 में भी कांग्रेस के राजेंद्र यादव विधायक बने
मौजूदा उम्मीदवार - कोटपूतली विधानसभा सीट पर...
BJP - हंसराज पटेल
कांग्रेस - राजेंद्र यादव
JJP - रामनिवास यादव
BSP - प्रकाश चंद सैनी (कांग्रेस से बागी)
निर्दलीय- मुकेश गोयल (BJP से बागी )
निर्दलीय - अशोक सैनी....
कुल 6 उम्मीदवार मैदान मे है कोटपूतली विधानसभा क्षेत्र से
जनता का मूड
कोटपुतली विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस से वर्तमान विधायक व मंत्री राजेंद्र यादव को ही फिर से कांग्रेस का टिकट दिया गया है. बीजेपी ने हंसराज पटेल को उम्मीदवार बनाया है. BJP से टिकट नहीं मिलने पर मुकेश गोयल बागी होकर निर्दलीय के तौर पर चुनाव लडने की ताल ठोक चुके है. वहीं BSP से पूर्व चेयरमैन भी कांग्रेस से बागी होकर BSP की टिकट लाकर चुनावी ताल ठोक दी है.
यहां मास्टर प्लान के नाम पर की गई तोड़फोड़, कोटपुतली को स्वतंत्र जिला नहीं बना पाने से लोगों में खासी नाराजगी है. साथ ही, कोटपुतली में पेयजल की भी बड़ी भारी समस्या है.
अब इस बार कोटपूतली की जनता मूड क्या रहेगा यें तों अब आने वाले 25 नवंबर के बाद ही तय हो पायेगा.
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