Soorsagar Vidhansabha Seat : जोधपुर जिले की 10 विधानसभा सीटों में से एक सूरसागर विधानसभा क्षेत्र भाजपा का गढ़ बन चुका है. यहां लगातार पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है, जबकि उससे पहले भी लगाता 1990 से लेकर 1998 तक यह सीट भाजपा के पास ही रही है. इस सीट पर पिछले तीन चुनावों से ध्रुवीकरण कर जीत और हार तय की जा रही है. 


खासियत


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इस सीट पर अब तक कुल 10 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से सिर्फ चार बार ही कांग्रेस इसे जीतने में कामयाब हो पाई है, जबकि इस सीट पर 6 बार भाजपा ने कब्जा किया. 1990 में पहली बार यहां से भाजपा के विधायक के रुप में मोहन मेघवाल ने जीत हासिल की. इसके बाद 1993 और 2003 में भाजपा इसे जीतने में कामयाब रही. 2008 में परिसीमन से बदले हालात के बाद से ही यह सीट भाजपा के पास है. 


जातीय समीकरण


इस सीट पर अधिकतर मतदाता माली, ब्राह्मण, मुस्लिम, सिंधी, जैन-माहेश्वरी, जाट और रावणा राजपूत समुदाय के साथ-साथ एसटी एससी से है. पिछले तीन चुनावों से यहां ध्रुवीकरण की राजनीति होती आई है. यहां भाजपा सूर्यकांता व्यास को चुनावी मैदान में उतारकर ब्राह्मण वोट बैंक के जरिए हिंदू मतदाताओं को साधती है तो वहीं कांग्रेस की कोशिश अल्पसंख्यक चेहरे को उतारकर समीकरण साधना की रहती है. हालांकि पिछले तीन चुनावों में भाजपा की रणनीति सफल रही है.


सूरसागर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास


पहला विधानसभा चुनाव 1977


1977 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से नरपत राम बरवाड़ चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं जनता पार्टी की ओर से मोहनलाल ने ताल ठोकी. इस चुनाव में मोहनलाल के पक्ष में 16,928 वोट पड़े तो वहीं नरपत राम बरवाड़ को 18,411 मतदाताओं का समर्थन मिला और वह सूरसागर विधानसभा सीट से पहले विधायक चुने गए.


चुनाव दूसरा विधानसभा चुनाव 1980


1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आई की ओर से नरपत राम बरवाड़ फिर एक बार चुनावी मैदान में थे तो वहीं भाजपा की ओर से फिर से मोहनलाल को प्रत्याशी बनाया गया. इस चुनाव के नतीजे भी 1977 के नतीजों की तरह ही रहे. जहां मोहनलाल के पक्ष में 17,722 वोट पड़े तो वहीं नरपत राम को 24,317 मतों के साथ जीत हासिल हुई.


तीसरा विधानसभा चुनाव 1985


1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विश्वस्त बन चुके नरपत राम बरवाड़ चुनावी मैदान में उतरे. बीजेपी ने मोहनदास को चुनावी मैदान में उतारा. लेकिन जीत नरपत राम बरवाड़ की हुई. नरपत राम को 36,234 लोगों ने वोट दिया और तीसरी बार सूरसागर से विधायक चुना.


चुनाव चौथा विधानसभा चुनाव 1990


1990 के विधानसभा चुनाव आते-आते तस्वीर थोड़ी बदल चुकी थी. कांग्रेस का विश्वास नरपत राम के साथ था तो वहीं भाजपा ने मोहन मेघवाल को चुनावी मैदान में उतारा. जब चुनावी नतीजे आए तीन बार के सूरसागर विधायक नरपत राम की हार हुई और भाजपा के उम्मीदवार मोहन मेघवाल 59,618 वोटों से जीतकर राजस्थान विधानसभा पहुंचे.


पांचवा विधानसभा चुनाव 1993


इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को बरकरार रखा और कांग्रेस की ओर से नरपत राम एक बार फिर किस्मत आजमाने उतरे तो वहीं बीजेपी के विश्वस्त बन चुके मोहन मेघवाल ने चुनावी ताल ठोकी. इस चुनाव में भी 3.50 हजार मतों के अंतर से मोहन मेघवाल की जीत हुई और नरपत राम को एक बार फिर शिकस्त का सामना करना पड़ा.


छठा विधानसभा चुनाव 1998


इस चुनाव में कांग्रेस को आखिरकार अपनी रणनीति बदलनी पड़ी. कांग्रेस ने नरपत राम की जगह इस बार भंवर लाल बलाई पर दांव खेला जबकि बीजेपी ने लिए पिछले दो चुनावों से जीत हासिल करने वाले मोहन मेघवाल भरोसा बरकरार रखा. इस चुनाव में कांग्रेस की रणनीति सफल हुई. भवंरलाल 2 चुनाव बाद फिर से कांग्रेस का गढ़ वापस लेने में कामयाब हुए. जबकि मोहन मेघवाल को हार का सामना करना पड़ा.



सातवां विधानसभा चुनाव 2003


2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने फिर से मोहन मेघवाल को ही चुनावी मैदान में उतारा. कांग्रेस ने एक बार फिर भंवर लाल पर ही दाव खेलना ठीक समझा. चुनावी नतीजे आए तो भाजपा के मोहन मेघवाल अपनी पिछली हार का बदला लेने में कामयाब हुए और भंवर लाल पर जीत हासिल की.


आठवां विधानसभा चुनाव 2008


इस चुनाव में सूरसागर विधानसभा सीट का समीकरण बदल गया. शुरू से आरक्षित (SC) रहने वाली यह सीट अब सामान्य वर्ग की हो गई थी. लिहाजा ऐसे में भाजपा और कांग्रेस ने नए चेहरों की तलाश की. भाजपा ने पार्टी की सीनियर लीडर में से एक सूर्यकांता व्यास को सुरसागर से चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस सियासी समीकरण साधने के लिए सईद अंसारी को लेकर आई. हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सईद अंसारी के पक्ष में 43657 वोट पड़े. सूर्यकांता व्यास को 49154 मतदाताओं ने अपना मत देकर जिताया.


9वां विधानसभा चुनाव 2013


इस चुनाव में भाजपा ने फिर से पार्टी की वरिष्ठ नेता सूर्यकांता व्यास को चुनावी जंग हो उतारा तो कांग्रेस ने प्रत्याशी बदलते हुए सईद अंसारी की जगह जैफू खान पर भरोसा जताया. इस चुनाव में सूर्यकांता व्यास के पक्ष में 52% वोट डले. तो वहीं मोदी लहर के खिलाफ उतरे जैफू खान को 38% वोटों से ही संतोष करना पड़ा.


दसवां विधानसभा चुनाव 2018


2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर जीत की गारंटी बन चुकी सूर्यकांता व्यास को ही टिकट दिया. कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली और ध्रुवीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रोफेसर अयूब खान को टिकट दिया. प्रोफेसर अयूब खान नॉन पॉलिटिकल बैकग्राउंड आते थे, लेकिन उनके प्रोफेशनल चेहरे को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने उन पर दाव खेला. इस चुनाव में जहां भाजपा को एज फैक्टर और कुछ स्थानों पर विरोध के चलते नुकसान होने का खतरा था तो वहीं कांग्रेस के लिए चौपासनी हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र चुनौती बना हुआ था. हालांकि जब चुनाव नतीजे आए एक बार फिर सूर्यकांता व्यास ही सूरसागर की प्रतिनिधि चुनी गई. जबकि कांग्रेस की रणनीति भी फेल हो गई. इस चुनाव में अयूब खान के पक्ष में 81,122 वोट पड़े तो वहीं सूर्यकांता व्यास को 86,222 मतदाताओं ने समर्थन दिया और तीसरी बार अपना प्रतिनिधि चुना.


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