Tijara Vidhansabha Seat: भिवाड़ी इंडस्ट्रियल एरिया के लिए विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखने वाला तिजारा विधानसभा क्षेत्र सियासी लिहाज से भी अहम हो जाता है. यह प्रदेश के 19 नवगठित जिलों में से एक है. यहां से मौजूदा वक्त में बसपा से कांग्रेस में आए संदीप यादव विधायक हैं, तो वहीं इस सीट पर लंबे अरसे से त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलता रहा है.


खासियत


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तिजारा विधानसभा सीट से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड जगमल सिंह यादव के नाम है. जगमाल सिंह यादव ने 1985 में पहली बार जीत दर्ज की. इसके बाद में 1990 और 1998 में भी विधायक चुने गए. वहीं अमीरुद्दीन अहमद खान के परिवार से भी पिता और पुत्र दोनों के नाम जीत का रिकॉर्ड दर्ज है.


जातीय समीकरण


तिजारा विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी आबादी यादव समाज की है. वहीं इसके बाद अनुसूचित जाति (एससी) और मुसलमान मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है. वहीं गुर्जर, बनिया और ब्राह्मण भी अपना सियासी प्रभाव रखते हैं.


2023 का विधानसभा चुनाव


2023 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस से दुरु मियां एक बार फिर दावेदारी जता रहे हैं तो वहीं बसपा से चुनाव लड़ चुके फजल हुसैन भी कांग्रेस से ही टिकट मांग रहे हैं, वहीं दांडी दर्शन के सदस्य देशपाल यादव भी टिकट की जुगत में जुटे हुए हैं. वहीं बात बीजेपी से करें तो भाजपा से एक बार फिर मजबूत दावेदारी मामन सिंह यादव की ही मानी जा रही है. वहीं संदीप दायमा भी टिकट दावेदारी जता रहे हैं. इसके अलावा पूर्व विधायक जगमल सिंह यादव के पुत्र चंद्रशेखर यादव भी भाजपा से टिकट की मांग कर रहे हैं. इस मुकाबले को एक बार फिर बसपा त्रिकोणीय बना सकती है. बसपा से इस बार तिजारा के बड़े ठेकेदार कहे जाने वाले इमरान खान चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.


तिजारा की जनता भिवाड़ी को जिला ना बनाए जाने से खफा है. हालांकि तिजारा के नाम को जिला में जिले के नाम में शामिल किया गया है लेकिन जिला मुख्यालय नहीं मिलने से लोगों में नाराजगी देखी जा रही है वहीं राजस्थान हरियाणा बॉर्डर पर इंडस्ट्रीज के गंदे पानी को कभी बड़ा मुद्दा है इसके अलावा भिवाड़ी दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है लिहाजा ऐसे में यहां प्रदूषण भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है.


तिजारा विधानसभा क्षेत्र का इतिहास


पहला विधानसभा चुनाव 1951


1951 के पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने घासीराम को टिकट दिया तो कृषक लोक पार्टी से हेमकरण चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के घासीराम यादव की जीत हुई. और उन्हें 17,003 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ, जबकि हेमकरण सिर्फ 4,325 मत ही हासिल कर सके. इसके साथ ही घासीराम तिजारा के पहले विधायक चुने गए.


दूसरा विधानसभा चुनाव 1957


1957 के दूसरे विधानसभा चुनाव में यह सीट दो सदस्य सीट थी, यानी इस सीट से दो विधायक चुने गए, एक सामान्य और दूसरे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. कांग्रेस की ओर से घासीराम यादव एक बार फिर चुनावी मैदान में थे. तो वहीं उन्हें कम्युनिस्ट पार्टी के रतिराम से चुनौती मिली. इस चुनाव में तिजारा की जनता ने रतिराम को 22,538 मत दिए, लेकिन घासीराम यादव 30,522 मत पाने में कामयाब रहे और उसके साथ ही चुनाव में अनारक्षित सीट से घासीराम यादव की जीत हुई. जबकि अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित वर्ग से कांग्रेस के ही संपतराम जीतने में कामयाब रहे. संपतराम को 30,519 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ और उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के ही पंचायत को शिकस्त दी.


तीसरा विधानसभा चुनाव 1962


1962 के विधानसभा चुनाव से पहले हुए परिसीमन में यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई. इस सीट पर कांग्रेस में संपतराम को टिकट दिया तो वहीं कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से हरिराम चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव के नतीजे आए तो कम्युनिस्ट पार्टी के हरिराम की जीत हुई और उन्हें 26,782 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ, जबकि कांग्रेस के संपतराम 15,407 मत ही हासिल कर सके.


चौथा विधानसभा चुनाव 1967


1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से अमादुद्दीन चुनावी मैदान में उतरे, तो कम्युनिस्ट पार्टी ने रतिराम को टिकट दिया. हालांकि इस चुनाव में स्थित अनुसूचित जाति वर्ग से एक बार फिर सामान्य हो गई. एक बार फिर समीकरण बदले और कांग्रेस के अमादुद्दीन की जीत हुई जबकि कम्युनिस्ट पार्टी के रतिराम को हार का सामना करना पड़ा.


पांचवा विधानसभा चुनाव 1972


1972 के विधानसभा चुनाव में स्थिति से कांग्रेस ने बरकतुल्लाह खान को चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं भारतीय जनसंघ से यदराम ने चुनौती पेश की. इस चुनाव में बरकतुल्लाह खान जीतने में कामयाब रहे और उन्हें 28,646 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ. जबकि भारतीय जनसंघ सिर्फ 13,396 मत की हासिल कर सके.


छठा विधानसभा चुनाव 1977


1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राम सिंह यादव को टिकट दिया, जबकि जनता पार्टी की ओर से अयूब खान चुनावी मैदान में उतरे इस चुनाव में तिजारा की जनता ने अयूब खान को 15,185 मत दिए तो वहीं राम सिंह यादव को 11,537 मत ही हासिल हो सके और उसके साथ इस चुनाव में जनता पार्टी के अयूब खान की जीत हुई.


सातवां विधानसभा चुनाव 1980


1980 के विधानसभा चुनाव में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने दीन मोहम्मद को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी सेकुलर की ओर से जगमल सिंह यादव चुनावी ताल ठोकने उतरे. चुनाव में जगमल सिंह यादव को 9,804 मत हासिल हुए जबकि 9,993 मतों के साथ दीन मोहम्मद चुनाव जीतने में कामयाब रहे.


आठवां विधानसभा चुनाव 1985


1985 के विधानसभा चुनाव में जगमल सिंह यादव को लोकदल से टिकट मिला, तो वहीं कांग्रेस ने इमामुद्दीन अहमद खान को फिर से टिकट दिया तो वहीं चुनाव के नतीजे आए तो जगमाल सिंह यादव चुनाव जीतने में कामयाब रहे और उन्हें 37,481 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस के इमामुद्दीन 29,982 मत की हासिल कर सके.


9वां विधानसभा चुनाव 1990


1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जसवंत सिंह यादव को टिकट दिया तो वहीं अयूब खान निर्दलीय चुनावी मैदान उतर आए. वहीं जनता दल की ओर से जगमल सिंह यादव चुनावी ताल ठोकने उतरे. इस चुनाव में जनता दल के जगमल यादव की जीत हुई और और उन्हें 34,280 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार अयूब खान दूसरे और कांग्रेस के जसवंत सिंह यादव तीसरा स्थान पर रहे.


दसवां विधानसभा चुनाव 1993


1993 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस की ओर से ऐमुद्दन खान को टिकट मिला तो वहीं बीजेपी ने जगमल सिंह यादव को टिकट दिया. चुनाव में ऐमुद्दन उर्फ दुरु मियां 51,867 मतों के साथ चुनाव जीतने में कामयाब रहे. जबकि बीजेपी के जगमाल सिंह यादव को 34408 मत मिले.



11वां विधानसभा चुनाव 1998


1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और सायरा बेगम को टिकट दिया. वहीं बीजेपी ने जगमल सिंह यादव का टिकट काटकर रामहित यादव को टिकट दिया. जगमल सिंह यादव बगावत पर उतर आए और उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल की टिकट पर ताल ठोक दिया. चुनाव में जगमल सिंह यादव की जीत हुई और उन्हें 30,187 मत हासिल हुए, जबकि कांग्रेस की सायरा बेगम 29,820 मत पाने में कामयाब रही तो वहीं भाजपा उम्मीदवार को 17,245 मत ही हासिल हो सके.


12वां विधानसभा चुनाव 2003


2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से एक बात फिर ऐमुद्दन अहमद खान यानी दुरु मियां को टिकट मिला तो वहीं भाजपा ने भी अपना उम्मीदवार बदला और डॉ. किरण जसवंत को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में डॉ. किरण जसवंत को 33,741 में हासिल हुई तो वहीं 35,021 मत के साथ दुरु मियां की जीत हुई.


13वां विधानसभा चुनाव 2008


2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से एक बार फिर ऐमुद्दन खान चुनावी मैदान में थे, तो वहीं बसपा से फजल हुसैन चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में जनता दल यूनाइटेडने ने भी चंद्रशेखर यादव के रूप में अपना उम्मीदवार उतारा, वहीं राकेश यादव और दयाराम तंवर ने इस मुकाबले को पंचकोणीय बना दिया. इस बेहद रोमांचक मुकाबले में जीत तो ऐमुद्दन उर्फ दुरु मियां की हुई लेकिन बसपा के फजल हुसैन और जनता दल यूनाइटेड के चंद्रशेखर यादव दूसरे और तीसरा स्थान पर रहे.


4वां विधानसभा चुनाव 2013


2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने रणनीति बदली और मामन सिंह को टिकट दिया, जबकि बसपा से एक बार फिर फजल हुसैन ही चुनावी मैदान में थे. वहीं कांग्रेस की ओर से अमीनुद्दीन यानी दुरु मियां ही चुनावी मैदान में उतरे. इस त्रिकोणीय संघर्ष में बीजेपी के मामन सिंह यादव चुनाव जीतने में कामयाब रहे, उन्हें 69,278 मत हासिल हुए जबकि बसपा के फजल हुसैन को 31,284 और कांग्रेस के दुरु मियां को 29,स172 मत हासिल हुए. उसके साथ ही भाजपा के मामन सिंह को मोदी लहर का फायदा मिला और वह जीत कर राजस्थान विधानसभा पहुंचे.


15वां विधानसभा चुनाव 2018


2018 के विधानसभा चुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिला जहां कांग्रेस ने फिर से ऐमुद्दन उर्फ दुरु मियां को टिकट दिया तो वहीं बीजेपी ने संदीप दायमा को चुनावी मैदान में उतारा. वहीं बसपा की ओर से संदीप कुमार यादव को टिकट मिला, जबकि समाजवादी पार्टी से फजल हुसैन चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में बसपा के संदीप कुमार यादव जीतने में कामयाब रहे और उन्हें 59,468 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस के ऐमुद्दन उर्फ दुरु मियां को 55,011 बीजेपी के संदीप दायमा को 41,345 और सपा के फजल हुसैन को 22,198 मत मिले. और उसके साथ ही इस चुनाव में बसपा के संदीप यादव की जीत हुई.