बांसवाड़ा को लोधा गांव में 3 दिन से बिजली की सप्लाई बंद, गुस्साए ग्रामीणों ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर मार्ग पर लगाया जाम
Banswara news: बांसवाड़ा शहर के समीप लोधा गांव में बिजली सप्लाई ना होने से लोगों में आक्रोश है. बताया जा रहा है कि ग्रामीण विद्युत विभाग के कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं, पर विभागीय अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया ,जिसको लेकर आज बड़ी संख्या में महिलाओं और ग्रामीणों ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर मार्ग को जाम कर दिया.
Banswara: बांसवाड़ा शहर के समीप लोधा गांव के पटेल पाटीदार बस्ती में पिछले 3 दिनों से बिजली की सप्लाई नहीं हो रही है, लगातार ग्रामीण विद्युत विभाग के चक्कर लगा रहे हैं पर विभागीय अधिकारियों ने कोई जवाब नहीं दिया, जिसको लेकर आज बड़ी संख्या में महिलाओं और ग्रामीणों ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर मार्ग को जाम कर दिया.
करीब 1 घंटे तक मार्ग को जाम ग्रामीणों ने रखा. जाम की सूचना पर बांसवाड़ा एसडीएम प्रकाश चंद्र और राजतालाब थाना पुलिस मौके पर पहुंची और ग्रामीणों से करीब 30 मिनट की समझाइश के बाद मार्ग को खुलवाया . मार्ग जाम होने के कारण दोनों और सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई.
3 दिन से हमारे कस्बे में लाइट बंद
ग्रामीणों ने एसडीएम को कहा कि पिछले 3 दिन से हमारे कस्बे में लाइट बंद है ,लगातार हम विद्युत विभाग के अधिकारियों से संपर्क में है पर किसी ने बिजली की सप्लाई कब शुरू होगी इसका कोई सही ढंग से जवाब नहीं दिया, जिस कारण से आज मजबूरन हमको चक्का जाम करना पड़ा .हमारे आसपास के एरिया में बिजली आ रही है पर हमारे इस कस्बे में बिजली नहीं आ रही है, हमारी मांग है कि हमारा जो कस्बा है जो कॉलोनी इसको बांसवाड़ा शहर की विद्युत लाइन से जोड़ा जाए जिससे हमें बिजली सुचारू रूप से मिल सके.
स्थानीय ग्रामीण ने बताया कि हमारे इस कस्बे की जो विद्युत लाइन है वह ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ी हुई , हमारी मांग है कि उसको बांसवाड़ा शहर से जोड़ा जाए जिससे हमारी बिजली सप्लाई बंद नहीं हो , वहीं पिछले 3 दिनों से बिजली बंद है जिससे हम परेशान हो रहे हैं . राजतलाब थाने के एएसआई रघुवीर सिंह ने बताया कि लोधा गांव के लोगों ने बांसवाड़ा डूंगरपुर मार्ग को जाम किया था, जिसकी सूचना पर हम मौके पर पहुंचे और लोगों से समझाइश कर जाम को खुलवा दिया है .विद्युत विभाग के अधिकारियों से भी संपर्क कर लिया उन्होंने 3 घंटे में बिजली सप्लाई शुरू करने की बात कही है.
यह भी पढ़ेंः दुनियाभर में क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड मिल्क डे, क्यों उठाना पड़ा WHO को ये कदम