Banswara News: वैसे तो विद्यालय को विद्या का मंदिर कहा जाता है, लेकिन जब मंदिर को ही विद्यालय बना दिया जाए तो यहां पढ़ाई भी भगवान भरोसे ही होगी. तस्वीरें आपके सामने हैं. जरा इन तस्वीरों को गौर से देखिए, आपको इन तस्वीरों में मंदिर में स्कूल नजर आ रहा है या फिर स्कूल में मंदिर नजर आ रहा है.


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चलिए हम आपको पूरा माजरा ही बता देते हैं. बांसवाड़ा जिले के इस स्कूल में छात्र ही फेल नहीं होते वरन राज्य सरकार के वह दावे भी फेल होते नजर आ रहे हैं जो हर सरकार अब तक करती आई है. पूरा मामला जनजाति जिले बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर दूर घाटोल विधानसभा क्षेत्र के अमरथुन ग्राम पंचायत के आंबापाड़ा का राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जो विगत 11 साल से गांव में स्थित हस्तिनापुर मंदिर के प्रांगण में चल रहा है.


विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को मंदिर के प्रांगण में बैठकर ही मंदिरों में गूंजने वाले भजनों के साथ अक्षर ज्ञान भी प्राप्त करना पड़ता है. चाहे नवरात्रि के गरबे हो, शिवरात्रि का पूजन हो, रात्रि जागरण हो या दिन के कार्यक्रम भजनों, गरबों और घंटियों की धुन के बीच पढ़ाई कैसे होती होगी, ये आप समझ सकते हैं.


चाहे गर्मी हो, सर्दी हो या फिर बरसात पूरे साल इन बच्चों को मंदिर के इस प्रांगण में ही बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. ऐसा नहीं है कि इस स्कूल के लिए सरकार ने बजट जारी नहीं किया हो, लेकिन सरकार और प्रशासन की लापरवाही के चलते इस विद्यालय का भवन अभी तक बन ही नहीं पाया.


कुछ साल पहले सरकार द्वारा इस विद्यालय के लिए 76 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे, लेकिन गुणवत्ताहीन सामग्री का उपयोग करने पर ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद से इस विद्यालय के भवन की केवल नींव ही खुद पाई है, भवन अभी तक नहीं बन पाया है.