Lok Sabha Election 2024: बांसवाड़ा में लोकसभा चुनाव के तहत मतदान कल, आज पोलिंग पार्टियां हुई रवाना
Lok Sabha Election 2024: राजस्थान में बांसवाड़ा लोकसभा और बागीदौरा विधानसभा उपचुनाव के तहत कल मतदान होना है. आज शहर के गोविंद गुरु कॉलेज में मतदान दलों को अंतिम प्रशिक्षण दिया गया. जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ इंद्रजीत यादव ने सभी मतदान दलों के सदस्यों को जरूरी दिशा निर्देश दिए.
Banswara News: बांसवाड़ा लोकसभा और बागीदौरा विधानसभा उपचुनाव के तहत कल मतदान होना है. आज शहर के गोविंद गुरु कॉलेज में मतदान दलों को अंतिम प्रशिक्षण दिया गया. जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ इंद्रजीत यादव ने सभी मतदान दलों के सदस्यों को जरूरी दिशा निर्देश दिए.
निर्देश के बाद सभी पोलिंग पार्टियां अपने अपने वाहनों से मतदान केंद्र के लिए रवाना हुई. जिले की कुल पांच विधानसभा में 1451 पोलिंग बूथ है जिनमे कल मतदान होना है. जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. इंद्रजीत यादव ने बताया कि आज हमने लोकसभा और बागीदौरा विधानसभा उपचुनाव के तहत सभी मतदान दलों को अंतिम प्रशिक्षण देकर पोलिंग बूथों पर रवाना कर दिया है.
पोलिंग बूथ पर गर्मी को देखते हुए पीने के पानी और छाव के लिए टेंट की व्यवस्था भी की गई हैं जिससे मतदान करने वाले मतदाता को गर्मी में कोई परेशानी नही हो. वही एंबुलेंस की भी व्यवस्था की गई है और हर बूथ पर नरसिंगकर्मी भी मोजूद रहेंगे. हमारी जनता से अपील है कि कल वो लोकतंत्र के इस महापर्व में भाग ले और अधिक से अधिक मतदान करने पहुंचे.
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Rajasthan Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 देश में एक नए राजनीतिक दल का भविष्य भी तय कर सकते हैं.डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिलों में विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले बनी भारत आदिवासी पार्टी ने भाजपा व कांग्रेस की दोनों की चुनावी गणित बिगाड़ दी है.
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत बांसवाड़ा - डूंगरपुर लोकसभा सीट पर भी 26 अप्रैल को मतदान होगा. बांसवाड़ा में आम जनता में वर्तमान व्यवस्था के प्रति नाराजगी साफ नजर आई. रेल का विकास ना होना, युवाओं के लिए रोजगार, प्रदेश के दूसरे क्षेत्र में आम जनता के आवागमन के मुख्य केंद्र बांसवाड़ा केंद्रीय बस स्टेंड की बेहाल व्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क की कमी जैसे मुद्दे बीजेपी के लिए काफी मुश्किल पैदा कर सकते हैं क्योंकि इस लोकसभा से लगातार दो बार बीजेपी जीत दर्ज कर रही थी,इस बार यहां राष्ट्रीय मुद्दे के बजाय आदिवासी एकता और स्थानीय मुद्दे हावी हैं.