Banswara news: बांसवाड़ा जिले के घाटोल कस्बे के डगिया तालाब के पेटे में बनी दायीं मुख्य नहर की अंडर ग्राउंड बाईपास टनल करीब 8 माह से टूटी हुई है, लेकिन अभी तक माही विभाग ने इसकी सुध नहीं ली, टनल की मरम्मत नहीं करवाने से तालाब का पानी सूख गया, जिससे घाटोल क्षेत्र में भीषण गर्मी में भूजल स्तर गिर गया. ग्रामीणों व डगिया तालाब संघर्ष समिति के सदस्यों ने माही विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए आक्रोश जताया.
खबर का सार - माही विभाग की इस उदासीनता को लंबे अरसे से देख घाटोल कस्बे की डगिया तालाब संघर्ष समिति के सदस्यों व कस्बेवासियों में विरोध के स्वर मुखर होने लगे. 


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तालाब की दुर्दशा को देख उन्होंने विभाग की लापरवाही पर कड़ा आक्रोश जताते हुए चेतावनी दी कि अगर सप्ताह भर के अंदर विभाग द्वारा टनल को दुरुस्त करने का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया तो उन्हें विवश होकर नहर को पाटना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी विभाग की रहेगी. ग्रामीणों ने बताया कि विभाग की लापरवाही के कारण डगिया तालाब दुर्दशा का शिकार हो चुका है. जब से टनल निकाली उसके बाद से तालाब में पानी का ठहराव नहीं हो पा रहा. इस कारण कस्बे का जलस्तर भी बहुत डाउन हो गया है. डगिया तालाब कस्बे की शान व लाइफ लाइन है, उसकी यह दुर्दशा कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी.


तीन बार टूट चुकी टनल
करीब 8 करोड़ की लागत से बनी टनल 8 वर्ष में तीन बार टूट चुकी है. वर्ष 2014-15 में निर्माण के बाद टनल पहली बार 26 जुलाई 2017 को, दूसरी बार 29 सितम्बर 2019 को एवं तीसरी बार 22 सितम्बर 2022 को टूटी थी. ग्रामीण अमरजी पाटीदार ने बताया कि तालाब में पानी का ठहराव नहीं होने से वाटर लेवल डाउन हो गया है. जलस्तर करीब 150 फिट तक पहुंच गया है. जबकि पहले 15 से 20 फीट रहता था. वही समीप वन क्षेत्र होने से वन्यजीव भी यही पानी पीने आते हैं. गड्डों में कुछ पानी भरा हुआ है, वह खत्म होने के बाद 


वन्यजीवों के लिए भी दिक्कते बढ़ सकती है.
ग्रामीण शिवाजी राव ने बताया कि बाईपास टनल टूटे 8 माह बीत चुके है, लेकिन विभाग द्वारा इसकी सुध नहीं ली गई है. जब से टनल बनी तब से तालाब में पानी का ठहराव नही हो रहा है इससे कस्बे का भूमिगत जलस्तर डाउन हो गया. है. माही विभाग की लापरवाही व उदासीनता का खामियाजा हम ग्रामीण भुगत रहे है. अगर समय रहते टनल को दुरुस्त नहीं किया गया तो बारिश के दिनों तालाब नहीं भर पाएगा, तो हालात जस के तस ही रहेंगे.