Kishanganj: यह बात बारां के आदिवासी शाहाबाद क्षेत्र के देवरी कस्बे में स्थित सहरिया बस्ती की है. जहां एक तीन वर्षीय मासूम बिंदिया गोवर्धन लाल सहरिया की पुत्री की कुपोषण का उपचार नहीं मिलने से मौत हो गई. जिसके बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया. कलेक्टर नरेंद्र गुप्ता ने आदिवासी क्षेत्र का दौरा कर एमटीसी केंद्र का निरिक्षण किया, वहीं अधिकारियों की बैठक लेकर सख्त निर्देश दिए गए है. जिला प्रमुख उर्मिला जैन भाया ने जिला अस्पताल के एमटीसी केंद्र का दौरा कर कुपोषित बच्चों के हालात के बारे में जाना.


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इधर, एक ओर शाहाबाद कुपोषण उपचार केंद्र में भर्ती कुपोषित सुमन कुमार, सोन सहरिया निवासी ग्राम पठारी में चार बर्षीय बालक मौत और जिंदगी की जंग लड़ रहा है. ऐसे आदिवासी क्षेत्र में सैकड़ों कुपोषित बच्चे हैं, जहां उपचार नहीं पहुंचाया जा रहा है. यहां प्रशासन को भनक तक नहीं लगने दिया जाता है और मौत के आगोश में चले जाते है. हर साल प्रशासन करोडों रूपये पानी की तरह कुपोषण पर बहा देते है, लेकिन हालात वहीं के वहीं बने हुए है.


कुपोषण मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई है. चिकित्सा विभाग के अधिकारी भी सचेत हो गए है. मृतक बालिका की दूसरी कुपोषित बहन साढ़े चार वर्षीय काजल और क्षय (टीबी) रोग से पीड़ित उनकी मां पपीता बाई को उपचार के लिए शाहाबाद के कुपोषण उपचार केन्द्र (एमटीसी) में लाकर उपचार शुरू कर दिया गया है. महिला और बाल विकास विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी उन बस्तियों में पहुंचने लगे हैं, जिनमें अतिकुपोषित बच्चें हैं.


कलेक्टर नरेन्द्र गुप्ता भी शाहाबाद पहुंचे. उन्होंने एमटीसी केंद्र में कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों का उपचार किया, जानकारी ली और ऐसे बच्चों को नजदीकी कुपोषण उपचार केन्द्रों में भर्ती करने के निर्देश दिए. आशा सहोगिनियां और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहरिया बस्तियों में पहुंचकर कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य की जानकारी लेती रहीं. 


कलेक्टर गुप्ता ने शाहाबाद में महिला और बाल विकास विभाग, चिकित्सा और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में कहा कि, नया सवेरा कार्यक्रम के तहत चिन्हित सभी कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को उचित पोषाहार और उपचार समय पर मिले. इसमें किसी प्रकार की ढिलाई नहीं बरतें वरना ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.


वर्तमान में जिले में कुपोषण के उन्मूलन के लिए नया सवेरा अभियान चल रहा है. इसके तहत शाहाबाद और किशनगंज ब्लॉक में 24 मई से 15 जून तक किए गए सर्वे में 1777 बच्चें कुपोषित और अतिकुपोषित के रूप में चिन्हित हुए हैं. इनमें से चिकित्सा विभाग ने करीब 150 बच्चों को ही एमटीसी में लाकर उपचार कराया है. 


1600 से अधिक बच्चों को उपचार के नाम पर पोषाहार मिला है. वह भी तीन-तीन माह के अन्तराल में. हाल ही में इन बच्चों को गत मार्च माह तक तीन माह का पोषाहार दिया गया है. इधर शाहाबाद-किशनगंज विधायक निर्मला सहरिया का कहना है कि, कुपोषण से मौत को लेकर मुझे कोई जानकारी नहीं है. मैं पता कराती हूं कि बच्चों की मौत कैसे हुई.


Reporter- Ram Mehta


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