Baran: बारां क्षेत्र के बोहत कस्बे सहित आसपास क्षेत्र के गांवों के लहसुन फसल उत्पादक किसानों ने लहसुन का भाव नहीं मिलने से नदी में बहा दिया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लहसुन उत्पादन किसान हेमराज मालव, चन्द्रभान गालव, नरेश शर्मा, कालूलाल का कहना है कि पिछले कई वर्षों से लहसुन की खेती करते आ रहे हैं लेकिन इस बार जो स्थिति लहसुन के भाव कम रहने से हुई है, यह स्थिति पहले कभी नजर नहीं आई.


यह भी पढ़ें- मदन दिलावर ने कांग्रेस सरकार को बताया हिंदू विरोधी, मदरसों को कहा आतंकियों का अड्डा


किसान का कहना है कि खेत में लहसुन बीज बुवाई से लेकर उत्पादन खर्च 25 से 30 हजार रुपये प्रति बीघा खर्चा आ जाता है. वर्तमान में किसान द्वारा खेत में उत्पादन में किया खर्च निकलना तो दूर की बात घर से लहसुन कटाई कार्य मे लगे श्रमिकों की मजदूरी भराई के लिए कट्टी खर्च और मंडी लोडिंग किराया खर्च निकलना भारी पड़ रहा है. वर्तमान में मंडी में एक रूपये से लेकर 11 रुपये किलो लहसुन बिक रहा है, जिससे किसान का घर से मंडी लाने का खर्च भी नहीं मिल पा रहा है.


छलका किसानों का दर्द
बोहत के किसान कालूलाल गुर्जर का कहना कि 2 बीघा लहसुन की पैदावार मात्र सात हजार रुपये आमदनी हुई है जबकि खर्च 50 हजार रुपये से अधिक है. किसान नरेश शर्मा का कहना है कि एक ट्रॉली बिना कटाई लहसुन पड़ा था. उसकी कटाई कार्य में मजदूरी और मंडी ले जाने का खर्च नहीं मिलने से पांच क्विंटल लहसुन नदी में बहाना उचित समझा. लहसुन की फसल किसानों को घाटे का सौदा साबित हो रही है.


Reporter- Ram Mehta