Baran News:राजस्थान के बारां के छबड़ा क्षेत्र में केंद्र सरकार की ओर से नई अफीम नीति के तहत लागू की गई सीपीएस पद्धति किसानों के लिए आर्थिक परेशानी का कारण बनती नजर आ रही है. इसमें उन्हें मेहनत लागत एवं निगरानी तो अधिक लगानी पड़ रही है, लेकिन अफीम के डोडे के मात्र 200 रुपए किलो ही दाम मिलने से उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है.


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इससे अन्य खर्चे तो दूर, मेहनत भी नहीं निकल पा रही. इस वर्ष छबड़ा के निजी पैलेस में लगे अफीम तोल केंद्र पर नारकोटिक्स विभाग ने अब तक 3150 किसानों का एक लाख 94 हजार किलो डोड़ा चूरा खरीदकर उन्हें 3 करोड़ 89 लाख रुपए का भुगतान किया है.


विभाग अब तक छबड़ा, छीपाबड़ौद, अटरू आदि क्षेत्र के कुल 1105 किसानों की 8544 किलो अफीम की तुलाई कर चुका है.छीपाबड़ौद क्षेत्र के बल्लूखेड़ी निवासी रघुवीर खाती, लक्ष्मी नारायण कुमावत, अशोक कुमार, नेमीचंद कुमावत सहित अन्य किसानों का कहना है कि उन्होंने 10 आरी के पट्टे में बिना चीरा लगाए 50 से 70 किलो डोड़ा विभाग को तुलवाया था.इसे सरकार मात्र दो सौ किलो में खरीद हो रहा है.


इस पद्धति से डोडे के अंदर पोस्तदाना निकल रहा है.इससे कि काला पड़ रहा है और वहीं आधी दोहरी मार झेलना पड़ रह मात्रा में निकल रहा है.विभाग द्वारा डोडे में छेद करके पोस्तदाना निकाले जाने की अनुमति है.इसके लिए भी किसान को मजदूर लगाने पड़ रहे हैं.


इसमें मजदूरी, दवाई, परिवहन सहित अन्य खर्च जोड़े जाएं तो दस आरी अफीम उत्पादन में लगभग 50 हजार का खर्चा आता है.पहले दस आरी में लगभग सवा किंवटल डोड़ा चूरा निकलता था.अब मात्र 50 से 70 किलो ही डोडा चूरा निकल रहा है.साथ ही इस पद्धति से डोडे में छेद कर पोस्ता निकालने के चलते पोस्ता कलर हल्का पड़ रहा है.


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