Cucumber Farming: बारां जहां एक ओर किसानों को खेती से नुकसान हो रहा है, वहीं आदिवासी क्षेत्र में किसान कृषि मे नवाचार अपना रहे है. जिससे किसान खीरे की खेती (Cucumber Farming) कर लाखों का लाभ कमा रहे हैं. बारां जिले के नाहरगढ़ कस्बे के किसान जुगल किशोर ने  2000 वर्ग मीटर में पॉलीहाउस (polyhouse farming ) बनाकर खीरे की खेती से लाखों रुपए का लाभ कमाकर अन्य किसानों को के सामने उद्हारण पेश किया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नवाचार  से हुआ लाखों का मुनाफा
वही पॉली हाउस (polyhouse farming ) में साल में दो खेती कर 5 से 6 लाख रु का लाभ कमा रहे है. वही पॉली हाउस कम जमीन एवं लागत में अधिक लाभ कमाने का एक अच्छा मध्यम भी बताया है. वही पॉली हाउस (polyhouse farming )  में खीरे की फसल (Cucumber Farming) का 1 साल में 50 से 60 टन उत्पादन होता है. जिसमे लगभग 10 से 12 लाख की आय होती है. वही खीरा आदिवासी अंचल से राजधानी जयपुर तक पहुंच रहा है.


 खेती  हुई कई गुना आसान
देशभर के किसानों के बीच खेती किसानी में आधुनिक तकनीक का प्रयोग बढ़ रहा है. इसकी मदद से खेती कई गुना आसान हो गई है. जिससे किसानों की समृद्धि भी बढ़ रही है. युवा किसानों के अलावा सदियों से पारंपरिक खेती (Traditional Farming) करने वाले किसान भी खेती के आधुनिक तरीके को अपनाने लगे हैं. राजस्थान के किसान आधुनिक खेती की तकनीक को अपनाकर खेती किसानी के जरिए नया मुकाम हासिल कर रहे हैं। राजस्थान के आदिवासी अंचल नाहरगढ़ के किसान जुगलकिशोर मंगल ने पॉलीहाउस में खीरे की खेती कर पारंपरिक फसलों की तुलना में कई गुना अधिक मुनाफा हासिल किया है.


परंपरागत खेती से मिला निजात
किसान जुगलकिशोर मंगल ने बताया कि परंपरागत खेती में बढ़ रही लागत से निजात पाने के लिए उन्होंने खेती में नवाचार करने का इरादा बनाया था, इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया तो कृषि विभाग के अधिकारियों ने उन्हें पॉली हाउस के बारे में जानकारी दी. साथ ही सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी एवं अन्य सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी. जिसके बाद उन्होंने 2019 में पॉली हाउस (polyhouse farming )  बनाया जिसमें उन्होंने पहले खीरे की फसल (Cucumber Farming) उगाई.


इस फसल से पहले ही साल में उन्हें करीबन 3.5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. उसके बाद कोविड-19 के कारण देश प्रदेश में लोक डाउन जैसे हालात बन गए. इसकी वजह से पिछले 2 वर्षों में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा परंतु उन्होंने हार नहीं मानी आज एक बार फिर से आदिवासी अंचल का खीरा प्रदेश की राजधानी तक पहुंच रहा है और आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती जा रही है.