Baran: राजस्थान के बारां जिले में इन दिनों लगी बिन मौसम बरसात की झड़ी ने न केवल खरीफ की फसल को पूरी तरह चौपट कर दिया बल्कि रबी की बुवाई का गणित भी बिगाड़ कर रख दिया है. खरीफ की फसल में क्षेत्र में ज्यादातर रकबा सोयाबीन का होता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से सोयाबीन की पैदावार में आई गिरावट ने काश्तकारों की माली हालत को कमजोर कर दिया. प्राकृतिक प्रकोप सोयाबीन की पैदावार में गिरावट का प्रमुख कारण रहे हैं. 


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इस बार भी सर्वाधिक बुवाई सोयाबीन की हुई और अधिक मुनाफा काश्त होने के लालच में इस बार भी अधिक किसानों ने केवल सोयाबीन की बुवाई की थी, लेकिन जब फसल कटाई का समय आया तो हाथ आई सिर्फ निराशा. दशहरे के आसपास खेतों में खरीफ की फसलें कटाई पर थी. ज्यादातर फसलें कट कर खेतों में फैली थी तो शेष भी सूखकर कटाई के लिए तैयार हो रही थी, लेकिन एक बार फिर शुरू हुए बरसात के दौर ने किसानों की मेहनत पर कुठाराघात कर दिया. बरसात से कटी फसलों में दाने भीग कर उग आए या फिर सड़कर खराब हो गए. 


बरसात से खरीफ की पैदावार हाथ से निकल गई, लेकिन साथ ही रबी की बुवाई का गणित भी बिगाड़ दिया है. अभी भी तेज बरसात होने से खेत जलमग्न हो रहे हैं. बरसात थमने के बाद कब खेत सूखेंगे और कब हंकाई का काम शुरू होगा. ऐसे में रबी की बुवाई में होने वाली देरी भी काश्तकारों की चिंता बढ़ा रही है. लोगों को उम्मीद थी कि दीवाली तक रबी की बुवाई की तैयारी में जुट जाएंगे, लेकिन बिगड़े मौसम के कारण अभी तो खरीफ का समेटा ही नहीं हो पाया. 


किसानों को पिछले दो- तीन साल से खराबे का मुआवजा नहीं मिल रहा, जिसको लेकर किसान परेशान हैं. उनका कहना है कि बैंकों में लोन लेने पर फसल बीमा के नाम पर रकम काट ली जाती है, लेकिन बीमा क्लेम का भुगतान नहीं मिल रहा है. बेमौसम हुई बारिश से सोयाबीन, मक्का, उड़द की फसल पूरी तरह तबाह हो गई, जिसके कारण किसान पूरी तरह टूट चुका है और अगली बुवाई और परिवार के पालन पोषण की गंभीर समस्या खड़ी हो गई है. किसान सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगा रहे हैं. 


Reporter- Ram Mehta 


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