Baran News : राजस्थान के बारां जिले में पिछले तीन दिन से हो लगातार बारिश के दौर ने किसानों के चेहरों पर हवाइयां उड़ा दी. जिले में सर्वाधिक खराबा सोयाबीन में हुआ है. किसानों का लगातार दूसरे साल खरीफ की फसलों से हाथ धोना पड़ा है. उनकी चार माह की मेहनत ही में आने से पहले ही फिसल गई.


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बारां जिलें में खरीफ के सीजन में यहां 2.54 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी. बुवाई की करीब 80 हजार हैक्टेयर सोयाबीन की कटाई और थ्रेसिंग हो गई थी, शेष 1.74 लाख हैक्टेयर की फसल में से आधी फसल कटाई के बाद किसानों ने खेतों में सुखाई हुई थी. लगभग 87 हजार हैक्टेयर में सोयाबीन अभी खेतों में है. बारिश से खेतों में जलभराव हो गया. ऐसे में कटी और खड़ी हुई फसल में खासे खराबे की संभावना जताई जा रही है तो खड़ी फसल के सूखने का इंतजार भी बेचैनी बढ़ाने वाला है.


जिलें में हो रही बेमौसम बारिश से खेतों में तैयार फसले पानी में डूब गई और किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। सोयाबीन व मक्का की तैयार फसलें नष्ट होने से किसान हताश हो गए. बारिश से मक्का की कड़प भी खराब हो गई है, अब पशुओं को चारे की समस्या का सामना करना पड़ेगा.


कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के इस दौर के बाद खेतों को सुखने में सात-आठ दिन लगेंगे. इस दौरान धूप निकलने से सोयाबीन तड़कने लगेगी और दाने खेतों में सड़ जाएंगे. मौसम विभाग के मुताबिक रविवार तक जिले में बारिश होने की आशंका है. ऐसे में राहत की उम्मीद बेमानी है.


हालांकि किसान अब भी फसलों के बचाव में जुटे हैं. कई किसानों ने तो रिमझिम बारिश के बीच खेतों में कटी पड़ी फसलों के ढेर लगा उन्हें तिरपाल से ढकते नजर आए. जिले में सोयाबीन 50 प्रतिशत तक खराबा हो गया है. उड़द की फसल पहले ही बारिश की भेंट चढ़ चुकी है. वहीं जिन किसानों की धान पक चुकी है. उसमें भी नुकसान की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. अब खेतों में कटी पड़ी सोयाबीन की गुणवत्ता खराब होने के साथ उसके दाने का वजन कम हो जाएगा.


रिपोर्टर-राम मेहता