प्राचीन तीर्थ को तबाह करने की तैयारी, खनन माफियाओं पर नकेल नहीं
Kishanganj : अवैध खननकर्ता कपिलधारा में झरनों के बिल्कुल ऊपर स्थित बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़कर उनसे चिंगारी पत्थर निकाल रहे हैं. जिससे कपिलधारा का भौगोलिक स्वरूप तो बिगड़ ही रहा है
Kishanganj : बारां के नाहरगढ़ वन क्षेत्र में ढिकोनिया वन नाके के तहत कस्बे से महज आठ किमी दूर स्थित प्राचीन तीर्थ और पर्यटन स्थल कपिलधारा में खननकर्ता चट्टानों को तोड़कर पत्थरों का अवैध खनन कर कपिलधारा का प्राकृतिक स्वरूप बिगाड़ रहे हैं.
अवैध खननकर्ता कपिलधारा में झरनों के बिल्कुल ऊपर स्थित बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़कर उनसे चिंगारी पत्थर निकाल रहे हैं. जिससे कपिलधारा का भौगोलिक स्वरूप तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं. प्रशासन सहित वन विभाग की अनदेखी के चलते खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं.
गौरतलब है कि बारिश के समय यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं और गौमुख के गिरने वाले जल में स्नान करने के साथ प्राकृतिक झरने का आनंद उठाते हैं. तेज बारिश के समय अत्यधिक बहाव के कारण बड़ी-बड़ी चट्टानें गिरने से हादसे हो चुके हैं.
पिछले वर्ष ही तेज बारिश में एक बड़ी चट्टान नीचे कुंड में गिर गई थी. गनीमत रही कि रात का समय होने के कारण वहां कोई मौजूद नहीं था. जिससे जनहानि टल गई. अब झरने के बिल्कुल ऊपर चट्टाने तोड़ने से बड़ी चट्टानों के नीचे गिरने की संभावनाएं बढ़ रही हैं. चट्टानों को तोड़ने के बाद पानी के बहाव के कारण पत्थर और मिट्टी का कटाव होगा. जिससे झरने के साथ पत्थर आदि गिरने की संभावना रहती है, जिससे की बारिश के दौरान यहां आने वाले पर्यटकों की जान-माल का खतरा हो सकता है.
इस मामले में ढिकोनिया वन नाका के वनपाल योगेश दत्त ने बताया कि सूचना मिलने पर स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचकर कर स्थिति का अवलोकन किया. जानकारी करने पर पता चला कि वहां दिहाड़ी मजदूर पत्थर तोड़ रहे थे. वह मजदूर भी वनकर्मियों के मौके पर पहुंचने से पहले ही भाग गए थे.
मौके पर मिले पत्थरों को जब्त कर के वहां से हटवाया जाएगा. ताकि आने वाले पर्यटकों को जान-माल का नुकसान नहीं हो. जिसके लिए सघन गश्त कर अवैध खनन को रोका जायेगा.
रिपोर्टर-राम मेहता
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