Baran: बारां जिले के सबसे बड़े एकमात्र जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का भंडार लगा हुआ है. जिला अस्पताल में आए दिन एक न एक समस्या उत्पन्न होती दिखाई देती है. शहीद राजमल मीणा जिला अस्पताल में 17 साल पुरानी एक्स रे से मशीन एक्स-रे करने में सक्षम नहीं होने पर भी प्रतिदिन लगभग 100 से ऊपर मरीजों का एक्सरे किया जा रहा है. वहीं एक्स-रे करते समय मशीन काफी समय भी ले रही है. जिससे अन्य मरीजों को दर्द के हालातों में लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है. वही लंबी कतारों में खड़े होने से अन्य रोग होने की संभावना बनी रहती है. 


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जहां एक तरफ देश चिकित्सा के क्षेत्र में प्रगति किए जा रहा है. वहीं राजस्थान के बारां जिले का जिला अस्पताल में हालत बत्तर होती जा रही है. आदिवासी क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां सुविधाओं की कमी है. शहीद राजमल मीणा जिला अस्पताल में मौसमी बीमारियों और हादसों के घायलों की संख्या अधिक होने से एक्स-रे जांच बढ़कर 300 प्रतिदिन पर पहुंच गई है. चार घंटे में 50 जांच क्षमता की मशीन से 6 गुना अधिक जांच हो रही है. इससे 17 साल पुरानी मशीन की ट्यूब के गर्म होकर फट सकती है.


इससे टेक्निशियन से लेकर मरीज की जान जोखिम में आ सकती है. जिला अस्पताल में दुर्घटनाओं के घायल, मौसमी बीमारियों को लेकर चेस्ट एक्स-रे सहित अन्य मामलों की एक्स-रे जांच बढ़ गई है.प्रतिदिन संख्या 50 से बढ़कर 300 पर पहुंच गई है. एक्स-रे रूम में एसी लंबे समय से खराब है. यहां एक्स-रे जांच कराने के लिए सुबह 9 बजे से ही कतार लगने लग जाती है. दोपहर एक बजे तक औसतन 300 एक्स-रे जांच हो रही है. एक एक्सपोजर में 2-3 मिनट का समय ही लग रहा है.ऐसे में मशीन की ट्यूब गर्म होकर फटने तक का खतरा बना हुआ है.


सर्विस इंजीनियर, एक्स-रे मशीन अनिल मेहता ने बताया की एक्स-रे मशीन में एक्सपोजर में 5 मिनट का समय जरूरी है. अभी 2 से 3 मिनट का समय ही मिल रहा है. 2005 की मशीन होने से एंड ऑफ लाइफ में पहुंच गई है. एक्स-रे बढ़ने से ट्यूब हीट करती है.ओवरलोड होने पर अधिक गर्म होकर यह फट भी सकती है. इससे मरीज, टेक्निशियन स्टाफ को जानलेवा खतरा है. ट्यूब फटने से भवन को भी नुकसान हो सकता है. डिजिटल एक्स-रे होने से कक्ष में कूलिंग जरुरी है. मशीन की क्षमता के अनुसार सामान्यता 4 घंटे में 50 एक्स-रे होने चाहिए. उसके मुकाबले 300 की संख्या बहुत अधिक है.


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