Sonia Gandhi Birthday: अलगोजे की धुन शुरू करते ही देश से लेकर विदेश के लोग झूमने लगते हैं. धोधे खां थार रेगिस्तान अलगोजा के शहनशाह के नाम से खयतनाम है. आज डॉ. लता कच्छवाह संयुक्त सचिव सोसायटी टू अपलिफ्ट रूरल इकोनोमी (श्योर) बाड़मेर ने कला पुरोधा आजादी पुरस्कार से समानित अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्तलोक कलाकार धोधे खां निवासी मांगता जिला बाड़मेर को कला पुरोधा आजादी अमृत महोत्सव के तहत 'कला पुरोधा' से सम्मानित करने की धोषणा करने के फलस्वरूप श्योर कार्यालय में उनका शॉल एवं माल्यापर्ण कर स्वागत किया. 


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साथ ही, उन्होंने कहा कि जब इनके अलगोजे से धुन निकलती है, तो पूरे वातावरण में मिश्री सी मिठास एवं वातावरण शांत बन जाता है. धोधे खां अपना अलगोजा पाकिस्तान से आए तब साथ लाए थे और तभी से अलगोजा उनका साथी बना हुआ है. खान ने हमेशा देश की एकता और खुशहाली के लिए गीत गाए हैं. उनके गीतों के हजारों लोग मुरीद है. 


बाड़मेर जिले के मांगता गांव निवासी धोधे खां की पहचान काफी पुरानी और कामयाबी की सूची बेहद लंबी है. इन्होंने वर्ष 1982 में हुए एशियाई खेलों में लोक वाद्ययंत्र अलगोजा बजाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था. अलगोजे की धुन सुनकर राजीव गांधी ने धोधे खां को अपना बाराती बनाया था. आकाशवाणी पर गूंजने वाली अलगोजे की धुन भी इन्हीं की देन है.


धोधें खां ने अपने इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय स्वर्गीय पद्मश्री मगराज जैन साहब को दिया और कहा की श्री जैन जब नेहरू युवा केंद्र बाड़मेर में युवा समन्वयक थे, तब से इनको लोककला के क्षेत्र में जोड़ा और वर्ष 1982 में जैन के प्रयासों ने मुझे एशियाड खेलों में धुन बजाने का भी अवसर प्रदान कराया. धोधे खां पदमश्री मगराज जैन को याद करते हुए पूर्णत भावूक हो गए थे. 


धोधे खां को कला के क्षेत्र में आगे ले जाने में नेहरू युवा केंद्र के साथ-साथ मरूधर लोक कला केंद्र का भी सराहनीय योगदान रहा. धोधे खां के कला और उनके व्यक्तित्व के बारे में संस्था के कार्यकर्ता गणेश दास केला, कानाराम कुम्हार ने भी अपने विचार व्यक्त किए. इस स्वागत अवसर पर संस्था के शशि कुमार नायर, अल्लाबक्श, बाबूंसिह, मदीना बानू और अब्दुल आदि कार्यकर्ता ने धोधे खां को माला पहनाकर स्वागत किया.