Barmer News: आज हम आपको एक ऐसी  राजस्थान के बाड़मेर की एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे. बाड़मेर जिले में एक ऐसा मंदिर है, जहां की छाप को भुजा पर लगाने के लिए लोग 7 से 20 साल तक का इंतजार करते हैं. 


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बाड़मेर जिले में एक मेला लगात है, जिसको मरुकुम्भ के नाम से जाना जाता है. यह मेला इस बार 7 साल बाद लगने वाला है. चौहटन कस्बे के सुईया पोषण मेले में मठ के आगे इस छाप को लगाने के लिए हजारों लोगों की संख्या में लोगों की लाइनें नजर आती हैं. सुर्ख लाल लोहे से लोगों की बांह पर अर्धकुंभ की खास निशानी है. 


सुईयां मेले में आने वाले भक्त अपनी बाजू पर मठ और मेले की छाप छपवाते हैं. कहते हैं कि पूरे भारत के सभी तीर्थ और मेलों में लगाई जाने वाली छाप चौहटन मठ की छाप से नीचे ही लगती है. यदि किसी ने पहले से किसी जगह की छाप लगा रखी है, तो यहां की छाप उसके ऊपर लगती है. 



इसके साथ ही यहां छाप पहले लगाने के बाद अगर भक्त कई और जाता है, तो इसके निचले हिस्से में छाप लगाई जाती है. वहीं, इस बार सुईया मेले में लाखों की संख्या में भक्त अपनी बांह पर छाप लगवा रहे हैं. यहां छाप लगवाने के भक्त लंबी-लंबी लाइनों में खड़े रहते हैं और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. यह एक खास छाप है, जो आग में लोहे को गर्म करके भुजा पर लगाई जाती है. 

मिली जानकारी के अनुसार, अमावस्या, सोमवार, पौष माह, व्यातिपात योग और मूल नक्षत्र का योग एक ही वक्त में मिलने पर ही सुईयां का पवित्र स्नान मेला लगता है.  इस पांच योग के पवित्र संगम पर पांच पवित्र स्थलों के पवित्र जल से भक्त स्नान करते हैं.