Siwana: ग्रामीण इलाको में आज भी आपसी भाईचारे की मिसाल दी जाती है, उन्हीं मिसाल को कायम रखते हुए समय-समय पर इस प्रकार के संदेश देने वाली तस्वीरे देखने को मिलती है. विश्व भर ने देखा कि भारत का हृदय किस तरीके से ग्रामीण इलाकों में बसता है और वैश्विक महामारी पर काबू पाया, यहां किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता है और ना यहां पर कोई किसी से द्वेष की भावना से रहता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एक दूसरे की मदद करके ही मानवता को जीवित रखते है. इसी तरह से पिछले कुछ दिनों से बाड़मेर जिले में लंपी नाम की बीमारी से गोवंश की हजारों की तादात में मौत हो रही है, ऐसे में फिर ग्रामीण इलाकों से कुछ तस्वीरें सामने आई है, जिससे यह देखने को मिलता है कि आज भी मानवता जीवित है. चाहे मनुष्य पर संकट हो या पशुओं पर एकता की मिसाल तो ग्रामीण इलाकों से ही देखने को मिलती है. 


यह भी पढ़ें - आखिर क्यों कहा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कि नौ महीने में तो बच्चा भी पैदा हो जाता है ?


अजीत, करमावास, समदड़ी, सिलोर सहित आस-पास के ग्रामीण इलाकों से ग्रामीणों ने अब यह जिम्मा अपने ऊपर उठा लिया है. गौभक्ति और ज्ञान के नाम पर अपनी जरुरतें पूरी करने राजनीतिक रोटियां देखने वालों से कोई उम्मीद नजर नहीं आई, तब प्रत्येक ग्रामीण इलाकों में राशि संग्रहित कर जिला मुख्यालय और तहसील पशु चिकित्सकों की आयुर्वेदिक और एलोपैथिक सलाह लेकर काम किया गया. 


वैक्सीनेशन के साथ लापसी, सैनिटाइजर, सरकारी सहायता सहित विभिन्न प्रकार के जतनों से मुक् पशुओं को बचाने में लगे हुए सुबह जल्दी उठकर प्रत्येक गांव गली मोहल्ले आस-पड़ोस के गांव में पहुंचकर इस बीमारी से ग्रसित कोई भी पशु नजर आता है उसे निजी वाहन की सहायता से अजीत में बने कवरन्टीन सेंटर में लाया जाता है और उसका उपचार के साथ-साथ देखरेख भी की जा रही है.


बाड़मेर की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


खबरें और भी हैं...


क्यों IAS टीना डाबी इंस्टा पर कह रही 'मारे हिवड़ा में नाचे मोर'? वायरल हुई कुछ खास फोटोज


Aaj Ka Rashifal : आज शुक्रवार को मेष को मिलेगा सरप्राइज, कन्या को मिल सकता है नया साथी


8 अगस्त को है पुत्रदा एकादशी, नि:संतान दंपति इस तरह करें पूजा, मिलेगी संतान