Bharatapur News: राज्य सरक़ार पशुओं और पशुपालकों के कल्याण की संकल्पना को साकार करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है. राज्य में उच्च गुणवत्तायुक्त पशुपालन के क्षेत्र में नस्ल संवर्धन का कार्य किया जा रहा है. जिससे पशुपालकों की आय में वृद्धि के साथ रोजगार के साधन भी विकसित हो रहे है. जल्द ही पशु प्रजनन फार्म कुम्हेर में पशुपालक प्रशिक्षण केंद्र खुलेगा.


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पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक गजेंद्र सिंह चाहर ने बताया कि यह फार्म 1959 तक भरतपुर राजपरिवार के द्वारा संचालित किया जाता था, तब यह फार्म श्रीकृष्ण गौशाला के नाम से जाता था. 1959 में यह फार्म पशुपालन विभाग के अधीन किया गया और हरियाणा नस्ल की उन्नत गौवंश के संवर्धन की योजना का आरम्भ हुआ. उसके बाद यह फार्म बकरी पालन का केंद्र बना. आज भी यह फार्म उन्नतशील पशुपालकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. वृहद जमीन पर बने हुए इस फार्म पर पशुपालकों के लिए तमाम आवश्यक सुविधाओं के साथ पशु चिकित्सा केंद्र भी है.


क्या होती है बकरी की जमुनापारी नस्ल?
डॉ. चाहर के अनुसार जमुनापारी नस्ल की बकरी मांस और दूध उत्पादन की दृष्टि से उत्तम मानी जाती है. मुख्यतया भारतीय नस्ल की इस बकरी का नाम यमुना नदी के नाम पर जमुनापारी पड़ा.शीघ्र ही वजन बढ़ाने में सक्षम इस नस्ल की बकरी पशुपालकों के लिए आय का एक मुख्य स्रोत साबित होती है. साथ ही बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ तापमान के अनुरूप जीवन क्षमता रखने वाली यह बकरी पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण पशुधन है.


बजट 2023- 2024 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पशु प्रजनन फार्म कुम्हेर में पशुपालक प्रशिक्षण केंद्र खोलने की घोषणा की गई है. जिससे न केवल प्रदेश में उन्नत एवं समृद्ध पशुपालन की दिशा में न केवल बेहतर कार्य हो सकेंगे बल्कि पशुपालन के क्षेत्र में रोजगार के साधनों भी विकसित हो सकेंगे. राजस्थान पशुपालन के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है। यहाँ की सकल विकास दर में भी पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है.