Bharatpur, Mewat news: देश के दूसरे जामताड़ा के नाम से मशहूर भरतपुर के मेवात इलाके में अब प्राइवेट बैंकों की ओर से गांव -गांव लगाई जा रही ATM मशीन ठगों  के निशाने पर है. ठगी का पैसा निकालने में बड़ी मदद कर रही है. इसका खुलासा भरतपुर पुलिस की जांच में हुआ है.


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आईजी रेंज  गौरव श्रीवास्तव ने बताया कि इन प्राइवेट ATM मशीन से ठगों का एक तरफ बढ़ावा मिल रहा है. वहीं मुनाफे के चक्कर में प्राइवेट कंपनियां अब गांव-गांव ATM मशीन लगा रही है .जिससे अब ठगी के रकम निकालना के लिये इन ठगों को बाहर नही जाना पड़ता है. जिससे पुलिस के लिये अब नया चेलेंज बन गया है इन अपराधियों को उनके ठिकाने से निकलना .


 पुलिस के जरिए पकड़े जाने का है डर
आईजी श्रीवास्तव ने बताया कि इन ठगों को गांव से बाहर जाने पर पुलिस के जरिए पकड़े जाने का डर भी रहता था पर वह भी अब खत्म हो गया है. उन्होंने बताया कि पुलिस के लिये नया ऑपरेशन चेलेंज बन गए है प्राइवेट बैंक के गांव गांव में लगने वाले एटीएम. जिन गांवों में पॉप्युलेशन का रेवेन्यू एक्सिस अच्छा नहीं है. वहां पर भी चार-चार एटीएम लगा दिए है . इन एटीएम से फेक अकाउंट खोलकर ,उस फेक अकाउंट के एटीएम से साइबर ठगी की राशि का विड्रॉल हो रहा है .


1 लाख से अधिक साइबर ठगी की का कनेक्शन मेवात 
बड़ी बात यह कि देश भर में दर्ज 1 लाख से अधिक साइबर ठगी की वारदातों का कनेक्शन मेवात से,इन प्राइवेट बैंक एटीएम से ठगी की राशि का विड्रॉल हो रहा है,पुलिस टीम के लिये साइबर ठगी रोकने के लिये बड़ा ऑपरेशन चेलेंज, लेकिन हमारी टीम काम कर रही है उन अकाउंट होल्डर को चिन्हित करने के लिये ,ट्राई की तरह ही प्राइवेट बैंक और सर्विस प्रोवाइडर को भी भरतपुर पुलिस पत्र लिख रही है.


भरतपुर के पहाड़ी थाना इलाके में पुलिस ने जब सेक्टोर्शन करने वाले दो ठगों को पुलिस ने पकड़ा तो इस बात का खुलासा हुआ कि जिस ATM मशीन से ठगी की रकम निकाली गई, वह गांव कठोल के स्थान पर फतेहपुत में ठगों के कहने पर लगाई गई जिसके संचालक को वह 20 प्रतिशत कमीशन देकर ठगी की रकम निकालते हैं. इसके बाद पुलिस ने ठगों की निशानदेही पर उस ATM मशीन को ही जब्त कर लिया है. अब पुलिस मेवात इलाके में लगे प्राइवेट कंपनी के ATM मशीन का फिजीकल वेरिफिकेशन और उससे होने वाले ट्रांजिक्शन को जांचने में जुटी है. आखिर इतनी छोटी जगह पर लाखों रुपये के ट्रांजिक्शन कैसे हो रहा है ?


1 लाख से ज्यादा सिम कार्ड बंद
ठगी की वारदातों को रोकने के लिए  पुलिस ने 1 लाख से ज्यादा सिम कार्ड बंद और 1 लाख 11 हजार मोबाइल के IMEI नंबरों को बंद करवाया है. जिससे साल 2022 में 41 लाख 64 लाख रुपए ठगों से बचाए हैं.


प्री-एक्टिवेट सिम कार्ड  करवाए बंद
नगर और कामां इलाके में ठगों पर लगाम लगाने के लिए असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल से लाई प्री-एक्टिवेट सिम कार्ड को बंद करवाया. मार्च 2022 से अप्रैल तक के लिए चार टीमों ने 6 करोड़ रिकॉर्ड्स को खंगाला. जिसमें 21 हजार 8 सौ 4 सिम कार्ड और 23 हजार 4 मोबाइल के IMEI बंद किया गया. इनके बंद होने के बाद ठगी की वारदातों में काफी कमी आई. जिसके कारण दूसरे राज्यों की पुलिस ने भी मेवात इलाके में कम दबिश दी. मोबाइल बंद होने के कारण UPI बेस अकाउंट, बैंक अकाउंट और सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद हुए.


5 मोबाइल के IMEI नंबर को करवाया बंद 
सितंबर 2023 को महीने में साइबर टीमों ने फिर से सर्वे किया. टीमों ने टावर डाटा के करीब 7 करोड़ रिकॉर्ड्स को खंगाला. उस दौरान असम उड़ीसा पश्चिम बंगाल की 37 हजार 1 सौ 87 सिम कार्ड और 46 हजार 5 सौ 95 मोबाइल के IMEI नंबर को बंद किया गया. कुछ महीने तक ठगी की वारदातों में कमी आई.


जनवरी 2023 में ठगी की शिकायतें आना शुरू हुई. फिर से साइबर टीमों ने टावर डाटा के करीब 8 करोड़ रिकॉर्ड्स को खंगाला. जिससे 41 हजार 7 सौ 33 सिम कार्ड बंद और 41 हजार 5 सौ 91 मोबाइल के IMEI नंबरों को बंद किया गया. जो डाटा पुलिस ने आइडेंटिफाई किया था उसे इंडियन साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर पर शेयर किया गया तो, 41 हजार 5 सौ 91 की 12 हजार से ज्यादा शिकायतें मिली.
 60 साइबर ठगी के मामले दर्ज 
पुलिस की इस कार्रवाई से जिले में साल 2023 में 60 साइबर ठगी के मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें से 41 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. साल 2022 में पूरे जिले के अंदर 130 मामले साइबर क्राइम के दर्ज हुए थे. जिसमें से 68 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.


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