Bharatpur News: राजस्थान के भरतपुर राजपरिवार के विवाद के बीच पूर्व मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के पुत्र अनिरुद्ध सिंह द्वारा भरतपुर राजवंश के निकास करौली से बताए जाने पर राजस्थान जाट महासभा ने कड़ी आपत्ति जताई है. राजस्थान जाट महासभा के प्रदेशाध्यक्ष राजाराम मील ने कहा है कि भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली के यदुवंशी राजपूतों से बताए जाने पर जाट महासभा ने घोर निंदा की है और इसे सरासर गलत बताया है. इस मामले में अनिरुद्ध सिंह ने भी पलटवार करते हुए ट्वीट कर कहा है कि मेरे परिवार का इतिहास मैं बेहतर जानता हूं ना कि जाट महासभा. 


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जाट महासभा को इस मामले में प्रेस विज्ञप्ति जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. वह मान हानि का नोटिस देंगे. जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि अपने पूर्वजों के विरुद्ध ऐसा आचरण ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है. जाट महासभा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस मामले में भरतपुर रियासत के इतिहास के पक्ष को रखते हुए कई इतिहासकारों के माध्यम से यह बताया है कि भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली से नहीं बल्कि करौली राजवंश का निकास भरतपुर राजवंश से हुआ है. 


जाट महासभा ने अंग्रेज लेखक इलियट भाग संख्या 3, हिस्टी ऑफ द जाट्स, इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा आदि का हवाला देते हुए कहा कि श्री कृष्ण से लेकर भरतपुर के अंतिम नरेश तक भरतपुर राजपरिवार यदुवंशी जाट क्षत्रिय हैं. उन्होंने लिखा कि यदुवंशियों की वंशावली से ज्ञात होता है कि राजा तहनपाल के तीन पुत्र थे, जिनमें ज्येष्ठ पुत्र धर्मपाल से करौली और उसके तीसरे पुत्र मदनपाल से भरतपुर जाट राजवंश के सिनसिनवार व सोगरवाल राजपरिवार निकले हैं. 



करौली का राजपरिवार जादौन राजपूत कहे जाते हैं और भरतपुर का राजपरिवार जाट कहे जाते हैं. यही नहीं प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि महाराजा सूरजमल से लेकर अंतिम शासक बृजेन्द्र सिंह ने अनेक अवसरों पर कहा कि वे जाट हैं. ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत अपने पूर्वजों के प्रति अनिरुद्ध सिंह का यह आचरण सही नहीं है. जाट समाज इसकी भर्त्सना करता है. इस समूचे घटनाक्रम के बाद अब एक नई बहस छिड़ गई है. अनिरुद्ध सिंह व पूर्व सांसद दिव्या सिंह ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली से हुआ है.


दिव्या सिंह ने तो यहां तक कहा कि मेरे ससुर अंतिम शासक सवाई महाराजा बृजेन्द्र सिंह ने उनको बताया था कि भरतपुर राजपरिवार का निकास करौली से हुआ है, हालांकि इस मामले में भरतपुर राजपरिवार की 14 वीं पीढ़ी पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह का कोई बयान सामने नहीं आया है. उन्होंने पिछले दिनों भरतपुर राजपरिवार के ही सदस्य राव राजा रघुराज सिंह, पूर्व मंत्री कृष्णेन्द्र कौर दीपा, कुंवर दीपराज सिंह से एक मुलाकात कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर यह जरूर कहा था कि हम साथ-साथ हैं. 


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ऐसे में देखना होगा कि इस मामले में विश्वेन्द्र सिंह कब मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखेंगे. लेकिन इस घटनाक्रम ने जाट बनाम राजपूत की एक नई बहस जरूर छेड़ दी है, क्योंकि भरतपुर ही देश के अंदर एक मात्र जाट रियासत रही है. जिसका अपना शानदार इतिहास रहा है, लेकिन अब जाट रियासत के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया गया है.