Bharatpur: भाजपा के सीनियर लीडर और विधानसभा के उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. उन्होंने जयपुर से धौलपुर जाते समय प्रेस वार्ता कर सचिन पायलट को लेकर कहा वो किस पार्टी में रहेंगे यह हम नहीं कह सकते, लेकिन अपमान की राजनीति राजस्थान की राजनीति और संस्कृति का हिस्सा कभी नहीं रही. यह गहलोत साहब द्वारा जिस तरह शुरू की गई, यह राजस्थान की राजनीति का स्तर पहले नहीं रहा, पायलट को नाकारा-निकम्मा कहना गलत था.


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राठौड़ ने कहा कि संवैधानिक मजबूरी के चलते सरकार विधानसभा का सत्र बुलाती है, वरना सदन से हमेशा भागती रहती है. उन्होंने कहा कि आगामी 19 सितंबर से शुरू होने वाले राजस्थान विधानसभा के सत्र के दौरान सरकार को घेरेंगे. लंपी रोग ग्रसित होकर जो गोवंश काल कलवित हो रहा है, प्रदेश की कानून व्यवस्था, राजस्थान अब बहन-बेटियों के लिये सुरक्षित नहीं हैं. बिजली बिलों में एडिशनल सिक्योरिटी के नाम पर वसूली की जा रही है. 


अपमान की राजनीति हो रही है


पुष्कर में जो घटित हुआ वह नहीं होना चाहिए था, क्योंकि मौका समाज के युग पुरुष को श्रद्धांजलि देने का था, लेकिन समाज को गुस्सा आ गया है. यह गुस्सा इसलिए था कि एक बड़े समाज को जब लगता है कि उसकी सरकार में हिस्सेदारी रहेगी, लेकिन जब लगता है अब हिस्सेदारी नहीं, अपमान की राजनीति हो रही है तो गुस्सा वाजिब है. फिर खेल मंत्री और उद्योग मंत्री ने जिस तरह मंच पर जाकर भीड़ को ललकारा यह उचित नहीं है.


फिर खेल राज्य मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि मैं बोलूंगा तो एक बचेगा, यह भाषा राजतंत्र की भाषा हो सकती है, अहंकार की भाषा का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं. मैं समझता हूं संयम रखने की जरूरत है. राजस्थान में आज चिरंजीवी योजना से निजी अस्पताल भाग खड़े हुए हैं, अस्पतालों में टार्च की रोशनी से ऑपरेशन हो रहे हैं. चिकित्सा विभाग में आज स्थानांतरण उद्योग लगा हुआ है, ऐसे में सीएम अशोक गहलोत राइट टू हेल्थ की बात करते हैं, वह जनता के सामने झुनझुना बजा रहे हैं. राइट टू हेल्थ दूर की कौड़ी है.


ठेकेदारों और सरकार का है गठबंधन


राजेन्द्र राठौड़ ने पीडब्ल्यूडी मंत्री भजनलाल जाटव पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान में ठेकेदारों और सरकार के किरदारों के गठबंधन ने सड़क तंत्र को ध्वस्त कर दिया है, उन पर आरोप लगते रहते हैं. खुद सीएम के सामने उनके सहयोगी मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने उन पर निशाना साधा. केबीनेट की कलेक्टिव रेस्पॉन्सिबिल्टी होती है, विश्वेन्द्र सिंह ने जिस भाषा का इस्तेमाल किया वह नहीं करना चाहिये था प्रसूता के लिए, इस बात को दूसरे तरीके से भी कहा जा सकता था.


Reporter- Devendra Singh


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