भरतपुर में संत विजयदास की मौत के लिए क्या लालफीताशाही है जिम्मेदार ?
Death Of Sant Vijaydas : भरतपुर में ब्रज की धार्मिक महत्व के पर्वतों को बचाने कि लिए भले ही संत विजयदास ने अपने प्राणों की आहुति दे दी और पंचतत्व में विलीन भी हो गई. लेकिन अभी भी ये मामला शांत होता नज़र नही आ रहा है.
Death Of Sant Vijaydas : राजस्थान के भरतपुर में संत विजयदास की मौत पर सियायत जारी है इस बीच सीएम गहलोत ने ट्वीट कर घटना पर दुख जताया और पूछा कि आख़िर क्या वजह रही कि जब राजस्थान सरकार साधू संतो की मांग पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुकी थी, तो आंदोलनरत संतो में से एक बाबा विजयदास को ये कदम उठाना पड़ा ?
भरतपुर में ब्रज की धार्मिक महत्व के पर्वतों को बचाने कि लिए भले ही संत विजयदास ने अपने प्राणों की आहुति दे दी और पंचतत्व में विलीन भी हो गई. लेकिन अभी भी ये मामला शांत होता नज़र नही आ रहा है. अब हर कोई ये सवाल उठा रहा है कि दिवंगत संत विजयदास को ये कदम क्यों उठाना पड़ा ?
राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर बाबा विजयदास के निधन पर दुःख जताते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की है और ईश्वर से उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान देने की प्रार्थना की है. साथ ही बाबा विजयदास के परिजनों को सरकार की तरफ से 5 लाख की सहायता देने की घोषणा भी की है.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरे मामले की जांच प्रमुख शासन सचिव स्तर के अधिकारी से कराने की भी बात कही है. सीएम ने कहा है की आख़िर क्या वजह रही कि जब राजस्थान सरकार साधू संतो की मांग पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुकी थी, तो आंदोलनरत संतो में से एक बाबा विजयदास को ये कदम उठाना पड़ा ?
जिस सवाल का हल जांचने की बात अब सरकार के मुखिया अशोक गहलोत कर रहे हैं, वही सवाल बीजेपी पहले से ही उठा रही है. यही नहीं कांग्रेस के नेता और विधायक भी उठा रहे है. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि लालफ़ीताशाही के ग़ैर ज़िम्मेदारना रवैए की वजह से संत विजयदास को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और सरकार की किरकिरी हुई और बीजपी को बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया. जिसको बीजेपी अब छोड़ना नहीं चाहती है.
यही वजह है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक हाईपावर कमेटी बनाई है, जो कि आज डीग तहसील के गांव पसोपा में धरना स्थल और आदिबद्रीनाथ के पर्वतों का निरीक्षण कर ग्रामीणों से जानकारी लेकर एक रिपोर्ट जेपी नड्डा को सौंपेगी.
इस कमेटी में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी पार्टी महासचिव अरुण सिंह ,पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद सत्यपाल सिंह ,सांसद ब्रजलाल पूर्व डीजीपी यूपी ,सीकर सांसद सुमेधांनंद सरस्वती शामिल है. इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कमेटी बनायी थी और बाबा बालकनाथ के साथ संतो के साथ बरसाना में बैठक की थी. वही गांव पसोपा सहित आसपास के ग्रामीणों ने संत विजयदास के अंतिम संस्कार के बाद गौशाला में बैठक कर आगे के आंदोलन की रणनीति पर चर्चा की.
वही संतो के प्रतिनिधिमंडल को प्रियंका गांधी से मिलाने वाले मथुरा यूपी के सीनियर कांग्रेस लीडर पूर्व विधायक प्रदीप माथुर ने इसके लिए लाल फ़ीताशाही को ही ज़िम्मेदार ठहराया है और संत विजयदास के आत्मदाह की घटना से अवगत कराया है और कहा की सीएम अशोक गहलोत तो पहले से ही मामले में सहमति दे चुके थे तो अफ़सरों ने या जो मंत्री वार्ता कर रहे थे. उन्होंने साधुओं को सरकार की तरफ से दिया गया सहमति पत्र क्यों नहीं दिया.
लालफीताशाही के गैर जिम्मेदारना रवैए की वजह से संत विजयदास को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और सरकार की किरकिरी हुई और बीजपी को बेठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया जिसको बीजेपी अब छोड़ना नहीं चाहती है.
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