Bharat Jodo Yatra : राजस्थान की सियासत में इन दिनों राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा छाई हुई है, लेकिन इस यात्रा और उसके रूट के कई सियासी मायने भी है. क्योंकि इसके जरिए कांग्रेस ना सिर्फ हाड़ोती और पूर्वी राजस्थान में अपनी पैठ कायम रखना चाहती है. बल्कि 2018 के चुनाव के बाद कांग्रेस से बड़े स्तर पर जुड़ी इन इलाकों की प्रभावशाली जातियां जैसे कि मीणा और गुर्जर समाज को भी साथ जोड़े रखना चाहती है ताकि 2023 के विधानसभा चुनाव की राह आसान हो सके.


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दरअसल राहुल गांधी की मीणा और गुर्जर समाज की महिलाओं के साथ तस्वीर जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. साथ ही यात्रा को मीणा और गुर्जर समाज की ओर से जमकर समर्थन भी मिल रहा है. बड़ी संख्या में बच्चों से लेकर युवा और महिलों तक इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं. इन 7 जिलों की 39 विधानसभा सीटों पर मीना-गुर्जर वोटर्स का खासा प्रभाव है. ऐसे में राहुल को इन इलाकों से मिल रहा जनसमर्थन भी कई मायने रखता है. 


मीणी-गुर्जरी के साथ के सियासी मायने


पूर्वी राजस्थान में सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा का अच्छा प्रभाव माना जाता है. ऐसे में राहुल की यात्रा में मीणी और गुर्जरी का साथ चलना सियासी सन्देश है. यात्रा के दौरान कांग्रेस सचिन पायलट को भी आगे करती नजर आ रही है. ऐसे में किरोड़ी लाल मीणा के प्रभाव वाले इन इलाकों में भाजपा के लिए 2023 में फिर मुश्किलें खड़ी हो सकती है. 


किरोड़ी के लिए चुनौती


राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का पूर्वी राजस्थान में खासा प्रभाव माना जाता है. लेकिन साल 2018 में कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान में क्लीन स्वीप करके ही जयपुर की गद्दी हांसिल की थी. पूर्वी राजस्थान से भाजपा को सिर्फ एक सीट मिली थी, जबकि बड़ी संख्या में निर्दलीयों ने भी जीत हांसिल की थी जो आज सरकार में शामिल है. 2018 में फिर से भाजपा में शामिल होने वाले किरोड़ी लाल मीणा ने 17 टिकट अपने चहेतों को दिलवाए थे, इन सभी को हार का सामना करना पड़ा था. इनमें उनकी पत्नी गोलमा देवी और भतीजे राजेंद्र मीणा भी शामिल थे. जबकि सामने सचिन पायलट ने कमान संभाली हुई थी जिसके बदौलत कॉग्रेस ने सरकार बनाई.


मीणा-गुर्जर वोट बैंक


पूर्वी राजस्थान की सियासत में मीणा और गुर्जर फैक्टर बेहद महत्वपूर्ण है. पूर्वी राजस्थान के भरतपुर,दौसा,सवाई माधोपुर,अलवर,करौली और धौलपुर जिलों में इन दोनों जातियों सियासी दबदबा है. अब तक हुए चुनाव में मीणा और गुर्जर चुनाव में निर्णायक की भूमिका अदा करते आए हैं. हालांकि दोनों ही एक-दूसरे के विरोधी है. लेकिन पिछले चुनाव में दोनों ने एकतरफा कांग्रेस को वोट दिया था.


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