भरतपुर: राजस्थान सरकार में मंत्रियों पर विधायकों की नहीं सुनने के आरोप-प्रत्यारोप तो अक्सर आपने सुना होगा, लेकिन ब्यरोक्रेसी भी इससे अछूती नहीं है. नेताओं और मंत्री के निशाने पर अब प्रशासनिक अधिकारी हैं. ताजा मामला भरतपुर का है. जहां पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए नाराजगी जताई है. विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी में बैठे लोग जनता की नहीं सुनते हैं और ना ही जनता के काम करते हैं.


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मंत्री विश्वेन्द्र सिंह यही नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री चाहते हैं आमजन व गरीब का भला हो, समय पर उनके काम होते रहे, लेकिन अफसर समय पर काम करते नहीं हैं. अधिकारी खानापूर्ति कर दूर दराज से आए लोगों को वापस कर देते हैं. 


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मंत्री ने मौके पर मौजूद अधिकारी पर कसा तंज


भरतपुर जिले के प्रशासनिक सिस्टम से मंत्री सिंह इतने नाराज हैं कि उन्होंने कहा कि किसी भी अफसर को कोई कागज भेजो तो हवा में उड़ा देते हैं और कहते हैं यह फर्जी पत्र है, मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने मौके पर मौजूद यूआईटी सचिव को कह दिया कि ''कमल जी आप अच्छे अफसर हो, लेकिन कागज हवा में उड़ाकर मेरे दस्तखत भी फर्जी बता देते हो, यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा". 


जनसुनवाई का क्या फायदा जब अधिकारी समाधान ही नहीं करते- मंत्री


मीडिया से बातचीत करते हुए विश्वेन्द्र सिंह ने कहा जो अफसर सुनते नहीं हैं, उनको हथोड़े की चोट की जररूत है. अफसरों के लापरवाह रवैये के चलते मंत्री विश्वेंद्र सिंह 3 अगस्त को जनसुनवाई नहीं करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी की हनक इतनी बढ़ी है कि लोगों की समस्याएं तक नहीं सुनी जा रही है. ऐसे में बुधवार को आयोजित होने वाली जनसुनवाई को निरस्त कर रहा हूं. विश्वेंद्र सिंह ने कहा ,जन सुनवाई करने का क्या फायदा ? जब अधिकारी लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं करते . रुपये खर्च कर लोग दूरदराज से जनसुनवाई के लिए आते हैं, लेकिन उनके आवेदनों पर अधिकारी कार्रवाई नहीं करते हैं. ऐसे लोग जनसुनवाई में आए भी और काम नहीं हो तो क्या मतलब. 


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अधिकारियों की कार्यशैली से परेशान होकर टाल दी सुनवाई


गौरतलब है कि भरतपुर जिले से गहलोत सरकार में  चार मंत्री हैं, इसमें दो कैबिनेट और दो राज्य मंत्री हैं, जिनमे से पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह अकेले ऐसे मंत्री है जिन्होंने सर्वाधिक सार्वजिनक रूप से जिलेभर के लोगों की जनता दरबार लगाकर जनसुनवाई की और  अफसरों को तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो क्षुब्ध होकर जनसुनवाई ही निरस्त कर दी. 


Reporter- Devendra Singh


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