सहारे की जरूरतः मां की मौत के बाद बेसहारा हुए 3 बच्चों पर टूटा दुखों का पहाड़, रोटी का संकट
टोडाभीम उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत पदमपुरा के गांव बेरोज में एक निर्धन महिला की मौत से 3 बच्चे बेसहारा (child destitute) हो गए हैं. तो वहीं परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जो उम्र इन बच्चों के खेलने और पढ़ने की है उसमें उनको रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है.
Karauli: टोडाभीम उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत पदमपुरा के गांव बेरोज में एक निर्धन महिला की मौत से 3 बच्चे बेसहारा (child destitute) हो गए हैं. तो वहीं परिवार के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया है. जो उम्र इन बच्चों के खेलने और पढ़ने की है उसमें उनको रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है. बच्चों को बेसहारा देख गांव के कुछ ग्रामीण मदद को भी आगे आ रहे हैं. लेकिन ऐसा कब तक चलेगा. यह सोचकर 13 साल के बड़े बेटे शंकर की आंखें भर आईं जो कुछ वर्तमान भविष्य को समझ सकता है. वहीं उसका छोटा भाई 11 साल का हेमू और 9 साल की बहन राधिका तो जीवन चक्र और दुनिया के माहौल से काफी कुछ अनजान हैं. आपको बता दें कि इन बच्चों की मां भजनी देवी उम्र 44 साल मजदूरी करके अपने इन तीन बच्चों को पाल रही थी. लेकिन प्रकृति को कुछ और ही मंजूर था. मां की मौत ( Mother Death)के बाद से इन मासूमों के ऊपर से मां का साया ही उठ गया. इनके सामने मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है. इन बच्चों का पिता खिलाड़ी मीणा विक्षिप्त बताया जा रहा है. जिसको बीते कई वर्षों से घर परिवार से कोई मतलब ही नहीं है.
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ग्रामीणों ने बताया कि 5 साल पहले तक खिलाड़ी मीना का हंसता खेलता परिवार था. लेकिन अचानक उसके परिवार ना जाने किसकी नजर लग गयी. खिलाड़ी के विक्षिप्त हो जाने से वह घर से अज्ञात स्थान को निकल गया. इसके बाद भजनी देवी दूसरों के यहां मजदूरी कर बच्चों का लालन-पालन कर रही थी. बुधवार रात भजनी की मौत होने से तीनों बच्चे अनाथ हो गए हैं. वहीं उनके सामने रोटी का संकट गहरा गया है. हालांकि कुछ ग्रामीणों ने मदद भी की है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने प्रशासन से बच्चों को विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करके उनके पेट भरने का प्रबंध करने की मांग की है. रविवार को चाइल्ड लाइन (Child Line)टीम के सदस्य संदीप कुमार गौड़ और सीमा चतुर्वेदी सहित बालग्रह के संचालक रामवीर उक्त मामले का अवलोकन करने के लिए गांव बैरोज पहुंचकर पीड़ित बच्चों के घर के समीप रह रहे ग्रामीणों से मामले की जमकारी की गई.
ग्राम पंचायत सरपंच सुशीला देवी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. हंसराज मीना (Hansraj Meena)ने बताया कि रामखिलाड़ी मीना के दो पुत्र और एक पुत्री है. बच्चों की मां की मौत गत दिनों हो गई. जिससे तीनों बच्चें की स्थित अनाथों की तरह हो गई. क्योंकि उनके पिता रामखिलारी मीना की मानसिक स्थिति ठीक नही है और इन अनाथ बच्चों का पालन पोषण करने वाला कोई नहीं होने से इनका भविष्य चाइल्ड लाइन की टीम के सदस्य संदीप कुमार गौड़ ने बताया कि ग्राम पंचायत सरपंच सुशील देवी ने छोटे बच्चों को बालग्रह में रखने के लिए सहमति जताई गई.
Report: Ashish Chaturvedi