आशुतोष शर्मा/जयपुर: केंद्र और राज्य सरकारें भले ही बड़े बड़े दावे करती हो, पर वास्तविक धरातल पर आज भी लोग अपने अधिकारों के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. ऐसा ही एक मामला जालोर जिले की आहोर तहसील के कोटड़ा गांव में देखने को मिल रहा हैं. बीडीओ ने जब कार्यवाही की तब मामला सामने आया.


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खबर के मुताबिक कोटड़ा गांव की निवासी विधवा लूंगीदेवी देवासी, जिसने जीवन के 65 बसंत पार कर लिए है. 23 वर्ष पहले इनके पति भीमाराम देवासी का देहांत हो गया था. इस विधवा बुजुर्ग महिला के कोई संतान भी नही हैं. पति की मृत्यु के बाद इस महिला ने मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरकर उम्र के आखिरी पड़ाव में पहुंच गई. महिला के रहने के लिए आज भी वो ही कच्चा झोपड़ा हैं जो उसके पति ने जिंदा रहते बनाया था. इसी झोपड़े में रहते हुए इस बुजुर्ग महिला ने अपने जीवन के कई पड़ाव पार किए. लेकिन अब कमजोर हो चुके शरीर से मजदूरी नहीं हो पा रही. बस जीने का सहारा मात्र सरकार की मिलने वाली विधवा पेंशन से गुजारा करना पड़ रहा हैं.


प्रधानमंत्री आवास का जब नाम सुना तो इस महिला के मन में भी पक्के मकान की आश जगी, कि कम से कम जीवन के अंतिम पड़ाव में तो खुद का पक्का मकान देखने को मिलेगा. इसी आश में कई बार पीएम आवास के लिए आवेदन किया पर ग्राम पंचायत प्रशासन की लापरवाही देखिए आज भी इस महिला को पीएम आवास का लाभ नहीं मिल पाया.


लूंगीदेवी देवासी ने सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना में बार आवेदन किया. लेकिन कई बार आवेदन करने के बाद भी इस बुजुर्ग को अभी तक आवास नहीं मिला. बुजुर्ग महिला ने सरपंच, ग्राम सेवक से लेकर बीडीओ प्रधान, विधायक तक को अपनी दास्तान सुनाई पर ना तो सरपंच, ग्राम सेवक ने इस बुढ़िया को उसका हक दिलाने में पहल की और ना ही बीडीओ, ना ही प्रधान और विधायक ने. अब आलम यह हैं कि जिसके चलते अब इन बूढ़ी आंखों में पक्के घर का सपना टूटता नज़र आ रहा हैं.