Bharatpur : अवैध खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले संत विजयदास का निधन, 80 फीसदी तक जल चुका था शरीर
Bharatpur : 80 फीसदी जल चुके संत विजयदास आत्मदाह करने के बाद राधे-राधे कहते हुए दौड़ रहे थे. घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके शरीर पर लगी आग को बुझाने की कोशिश की थी.
Bharatpur : राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकाचल में हो रहे अवैध खनन के विरोध में साधु-संत के आंदोलन के दौरान संत विजयदास ने आत्मदाह कर लिया था. संत विजयदास का देर रात 2.30 बजे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया.
संत विजयदास का सुबह 9 बजे पोस्टमार्टम होगा और फिर शव सौंपा जाएगा. भरतपुर से दिल्ली गए पहाड़ी एसडीएम संजय गोयल ने भी संत के निधन की पुष्टि की है. संत विजयदास का बरसाना मान मंदिर में अंतिम संस्कार किया जाएगा.
आपको बता दें कि इससे पहले अवैध खनन के विरोध में पहले मंगलवार सुबह बाबा नारायण दास टावर पर चढ़ गए, जिसके बाद उन्होंने पूरी रात टावर पर गुजारी. बाबा नारायण दास को टावर पर ही ग्लूकोज और अन्य खाद्य सामग्री पहुंचाई गई थी. वहीं रातभर मौके पर पुलिस जाब्ता तैनात रहा था. इसका बाद बुधवार को बड़ी संख्या में साधु-संत पासोपा में आंदोलन स्थल पर जुटे और सुबह करीब 11.30 बजे 65 साल के संत विजयदास ने आत्मदाह कर लिया था. जिनकों गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
80 फीसदी जल चुके संत विजयदास आत्मदाह करने के बाद राधे-राधे कहते हुए दौड़ रहे थे. घटनास्थल पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके शरीर पर लगी आग को बुझाने की कोशिश की. घटना के बाद 551 दिन से चल रहा साधु संतों का धरना खत्म हो गया था.
इधर संत के आत्मदाह के बाद राजस्थान के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया बैकफुट आते दिखे और मंत्री ने कहा था कि संत जिन खानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं, वे लीगल हैं. फिर भी उनकी लीज शिफ्ट करने पर विचार किया जाएगा.
आंदोलन कर रहे साधु-संतों ने दावा किया है कि कनकांचल और आदि बद्री पर्वत धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, आदि में भगवान बद्री के दर्शन होते हैं, जबकि कनकांचल पर्वत में कई पौराणिक अवशेष हैं. इनकी श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं. इस जगह पर चारों धाम हैं.
मामले को लेकर साधु-संतों की पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ मीटिंग भी हुई थी. मंत्री के आश्वासन के बाद बाबा ने कहा था कि मीटिंग तो रोज होती है, कोई फैसला हो तो बात बने. आंदोलन कर रहे साधु-संतों की अगुआई कर रहे बाबा हरिबोल ने भी पहले 17 जुलाई को आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी और कहा था कि मेरी मृत्यु का समय अब निश्चित हो चुका है, जिसे कोई बदल नहीं सकता है.
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