भतरपुर के बजाए जयपुर के धरने में पहुंच गए BJP के यह नेता, हुई किरकिरी
मामला है, सरकार की सालगिरह की पूर्व संध्या पर बीजेपी की तरफ से किए सांकेतिक धरने का. इस दौरान किरोड़ी को जिम्मेदारी तो भरतपुर की दी गई, लेकिन किरोड़ी लाल मीणा पहुंच गए जयपुर.
जयपुर: राज्यसभा में बीजेपी के सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा लगातार सक्रिय हैं. किरोड़ी की सक्रियता का आलम यह है कि पिछले छह महीने में बीजेपी की तरफ से सबसे ज्यादा बार सड़क पर कोई उतरा है तो उसमें सबसे आगे किरोड़ी का ही नाम आता है. लेकिन प्रदर्शन के मामले में अव्वल रहने के साथ ही किरोड़ी के इस रवैये पर सवाल भी उठ रहे हैं.
खासतौर से, यह सवाल तब खड़े हुए जब पार्टी की तरफ से दी गई ज़िम्मेदारी के इतर किरोड़ी लाल दूसरे आन्दोलन में पहुंचे. मामला है, सरकार की सालगिरह की पूर्व संध्या पर बीजेपी की तरफ से किये सांकेतिक उपवास और धरने का. इस दौरान किरोड़ी को ज़िम्मेदारी तो भरतपुर की दी गई, लेकिन किरोड़ी पहुंच गए जयपुर में बीजेपी के धरने से दो सौ मीटर दूर बेरोजगारों के धरने पर.
खबर के मुताबिक, बीजेपी नेता और वसुंधरा राजे के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे किरोड़ीलाल मीणा को प्रदेश में कांग्रेस सरकार की पहली सालगिरह पर जब किरोड़ी को भरतपुर में सांकेतिक उपवास और धरने का कार्यक्रम संभालने की ज़िम्मेदारी दी गई थी लेकिन वह भरतपुर नहीं पहुंचे. वहीं, किरोड़ीलाल मीणा भरतपुर तो नहीं गए लेकिन वह जयपुर में भी पार्टी के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में भी शामिल नहीं हुए और गांधी सर्किल पर चल रहे बीजेपी के धरने से दो सौ मीटर दूर राजस्थान यूनिवर्सिटी पहुंच गए.
दरअसल, पिछले कुछ दिन से यूनिवर्सिटी में फर्स्ट ग्रेड टीचर्स भर्ती के अभ्यर्थी परीक्षा की तारीख बढ़ाने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. किरोड़ी पिछले तीन दिन में दूसरी बार इस धरने पर पहुंचे और बेरोजगारों के आन्दोलन की अगुवाई भी की. आलम ऐसा था कि एक बार तो पुलिस ने भी यूनिवर्सिटी के सामने से गुजरने वाले वीआईपी रूट में बदलाव किया. बेरोजगारों के बीच पहुंचे किरोड़ी आन्दोलनकारियों की अगुवाई करते हुए गांधी सर्किल पहुंच गए और वहां पुलिस ने रोका तो सबके साथ सड़क पर बैठक गए.
वहीं, गांधी सर्किल पर चल रहा बीजेपी का धरना अपने अन्तिम दौर में था. प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया मीडिया से बात करते हुए कह रहे थे कि पार्टी ने सभी ज़िला मुख्यालयों के लिए अलग-अलग नेताओं को ज़िम्मेदारी दी थी. पूनिया खुद भी इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि पार्टी में सभी नेताओं ने उनके आदेश की पालना की होगी. हालांकि उन्होंने इसका फीडबैक बाद में लेने की बात भी कही.
लेकिन इन सब बातों से बेखबर किरोड़ी तो प्रदर्शनकारी अभ्यर्थियों के साथ ही सतीश पूनिया से करीब ही पहुंच चुके थे. आन्दोलनकारियों के साथ ही सड़क बैठे किरोड़ी का आन्दोलन और उसकी अगुवाई का अपना तरीका है. शायद यही कारण है कि बीजेपी की तरफ़ से दी गई ज़िम्मेदारी पूरी नहीं करने के बाद भी बेफिक्री के अंदाज में उन्होंने कहा कि भरतपुर की ज़िम्मेदारी बाकी लोगों ने पूरी कर ली होगी.