Bhilwara: भीलवाड़ा में बहुरूपिया कलाकार जानकीलाल भांड का भव्य स्वागत, पीएम और राष्ट्रपति का जताया आभार
Bhilwara: बहरूपिया कला के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध जानकी लाल भांड का आज पद्मश्री पुरुस्कार मिलने के बाद पहली बार भीलवाड़ा पहुंचने पर शहरवासियों ने पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया .
Bhilwara: बहरूपिया कला के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध जानकी लाल भांड का आज पद्मश्री पुरुस्कार मिलने के बाद पहली बार भीलवाड़ा पहुंचने पर शहरवासियों ने पलक पावड़े बिछाकर स्वागत किया . पद्मश्री जानकी लाल के यहां पहुंचने पर उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया और रेलवे स्टेशन चौराहे से बड़े मंदिर तक भव्य जुलूस का आयोजन किया गया . इस दौरान जगह पुष्प वर्षा और माला पहनकर स्वागत अभिनंदन किया गया. उनके साथ सैल्फी लेने और फोटो खिंचवाने वालों में होड़ लगी रही.
पद्मश्री जानकीलाल भांड ने कहा कि इस कला को जीवित रखने के लिए यदि सरकार मेरी सहायता करे, कोई प्लॉट या लोन उपलब्ध कराये तो हमारे समाज में ऐसे कई कलाकार हैं जो इस कला को सीखना चाहते हैं. हम लोग उनके लिए एक इंस्टिट्यूट खोल सकते हैं, जिसके माध्यम से इस कला को हमेशा जीवित रखा जा सकता है. पद्मश्री जानकी लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति और देश के संविधान के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए कहा है कि मुझ जैसे सामान्य व्यक्ति को कला के लिए पद्मश्री अवार्ड मिलना बेहद खुशी का पल है मुझे मेरी मेहनत का पुरस्कार मिला है.
जानकीलाल भांड के बेटे लादू लाल भांड का कहना है कि पिताजी ने इतने समय तक अपनी कला का प्रदर्शन किया. आज मैं काफी खुश हूं कि उन्हें उनकी कला का सम्मान मिला है. उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है यह मेरे लिए काफी गौरव का पल है.
प्रसिद्ध जानकी लाल भांड को पिछले सोमवार 22 अप्रैल को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है. वे पिछले 6 दशक से बहरूपिया कला को जीवित रखे हैं. 26 जनवरी की पूर्व संध्या पर बहरूपिया कला के लिए जानकी लाल भांड को पद्मश्री पुरस्कार के लिए
चयनित किया गया था.
कौन है जानकी लाल भांड
इसके बाद नई दिल्ली में महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जरिए जानकीलाल भांड को पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया. बहरूपिया बाबा के नाम से मशहूर जानकी लाल एक बहरूपिया कलाकार है, जो समाप्त होती बहुरूपिया कला को आज भी जिंदा रखे हुए हैं.
इन्होंने भीलवाड़ा सहित देश-विदेश में अपनी बहरूपिया कला को प्रदर्शित किया है. 83 साल के जानकी लाल को यह कला विरासत में मिली है और इससे पहले उनकी तीन पीढ़ियां बहरूपिया कला के प्रति समर्पित रही है. जानकी लाल को पद्मश्री मिलने के बाद भीलवाड़ा वासियों में हर्ष है. आज उसी हर्ष और खुशी का माहौल भीलवाड़ा की जनता में नजर आ रहा है . पद्मश्री जानकीलाल को चाहने वाले बड़ी संख्या में यहां उनका स्वागत अभिनंदन करने पहचें.