Bhilwara News: जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी चिकित्सालय में गत दिनों डॉक्टर महेश बेरवा और डॉक्टर दिनेश बेरवा के द्वारा चलाए जा रहे इलाज के नाम पर अवैध वसूली और रिश्वतखोरी के रैकेट का खुलासा होने के बाद चिकित्सा विभाग में हड़कंप गया. विभाग ने दोनों घूसखोर डॉक्टरों को बचाने के लिए भरसक प्रयास किए. 


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इसी का नतीजा है की जांच कमेटी में शामिल डॉ दिनेश बेरवा, डॉ वीरेंद्र शर्मा और अन्य डॉक्टरों की टीम ने रिश्वत कांड को अंजाम देने वाले मुख्य डॉक्टर महेश बैरवा को मेडिकल परिस्थितियों का हवाला देते हुए सही ठहराते हुए राहत देने की कोशिश की हैं. हालांकि पीड़ित ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए थे. सबूतों और तथ्यों के बावजूद मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल ने कमेटी की रिपोर्ट को सही मानते हुए अपने चहेते डॉक्टर महेश बैरवा को बचाने के लिए सही गलत का फर्क किए बिना ही सारे आरोपों को झुठला दिया.


आपको बता दें की गत दिनों मांडलगढ़ निवासी शिकायतकर्ता यश कुमार सिंधी ने अपने पिता मुरलीधर सिंधी के पैर के ऑपरेशन के नाम पर 28,000 रुपए की मांग करने की शिकायत डॉक्टर महेश बेरवा के खिलाफ दर्ज करवाई थी. शिकायत दर्ज करने के बाद मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर वर्षा सिंह ने डॉक्टर दिनेश बेरवा, डॉक्टर वीरेंद्र शर्मा और एक अन्य डॉक्टर को शामिल कर तीन सदस्य जांच कमेटी का गठन किया.


टीम में शामिल सदस्य द्वारा ही पीड़ित को धमकाए जाने की शिकायत भी सामने आई, लेकिन विभाग ने जांच के नाम पर लीपापोती करने की नीयत से धमकी देने वाली कमेटी की जांच को ही सही मान लिया और पीड़ित के पक्ष को सुनना भी जरूरी नहीं समझा. पीड़ित ने लिखित में अपने बयानों में न सिर्फ डॉक्टर महेश बेरवा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए, बल्कि टीम में शामिल डॉक्टर दिनेश बेरवा पर भी सवाल खड़े किए थे.


लेकिन विभाग ने आरोपों को दरकिनार करते हुए अपने डॉक्टर बैरवा ब्रदर्स को बचाने के लिए मेडिकल परिस्थितियों का हवाला देते हुए जांच के नाम पर लीपापोती कर ली. अब इस मामले में एक और जहां पीड़ित यश कुमार सिंधी ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर कानूनी प्रक्रिया अपनाने की शुरुआत कर दी है तो वहीं दूसरी ओर एक और अन्य पीड़ित आफताब मुल्तानी ने लिखित में कलेक्टर नमित मेहता, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज डॉ वर्षा सिंह और पीएमओ एमजी हॉस्पिटल डॉ अरुण गौड़ को डॉक्टर महेश बेरवा के खिलाफ शिकायत देकर विभाग की नींद उड़ा दी है.


जिस घूसखोर डॉक्टर को बचाने के लिए विभाग एड़ी चोटी का जोर लगा रहा था, उसके खिलाफ लगातार मामले सामने आ रहे हैं, लगातार घूसखोर डॉक्टर बेरवा के खिलाफ शिकायतें आने के बावजूद डिप्टी सीएम प्रेमचंद बेरवा के नाम का बेचा इस्तेमाल करने वाले डॉ बैरवा ब्रदर्स के खिलाफ कार्यवाही करने से करता रहा विभाग उल्टा उन्हें बचाने में जुड़ा हुआ है.


अब मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल वर्षा सिंह आफताब की शिकायत पर दोबारा जांच कमेटी का गठन करने की बात कर रही है, लेकिन रिश्वतखोर डॉक्टर बैरवा ब्रदर्स के खिलाफ निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना बेकार लगता है, क्योंकि विभाग अपनी किरकिरी ना हो इसके लिए दोनों ही डॉक्टरों को बचाने के तरीके अपनाता नजर आ रहा है.